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भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल: नाम बदला लेकिन तस्वीर नहीं, मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे रहवासी

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Published : Dec 2, 2020, 7:35 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 10:48 PM IST

भोपाल गैस त्रासदी को 36 साल हो गए हैं. लेकिन गैस पीड़ित आज भी सरकारों पर आरोप लगा रहे हैं कि 36 साल बीत जाने के बाद भी गैस पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिला है. आज भी गैस पीड़ित उचित मुआवजा और पुनर्वास के लिए तरस रहे हैं.

victim
पीड़ित

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल हो गए हैं. लेकिन आज भी इस त्रासदी के जख्म लोगों के दिलों में ताजा है. इस हादसे में शिकार हुए लोगों में आज भी उनका असर देखा जाता है. वहीं गैस कांड हादसे के लिए वारेन एंडरसन को जिम्मेदार माना जाता है. उसने इस हादसे के बाद भारत छोड़ दिया था. तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने सरकारी आदेश के बाद उसे जाने दिया. वहीं यूनियन कार्बाइड के हादसे से लोगों की आज भी यादें ताजा हो जाती है. जबकि त्रासदी में पीड़ित मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं.

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे रहवासी

नाम बदला लेकिन तस्वीर नहीं बदली

इस हादसे में लोगों के घर उजड़ गए. कई लोगों के परिवार के सदस्यों ने हादसे में अपनी जान गवां दी. वहीं गैस पीड़ित आज भी सरकारों पर आरोप लगा रहे हैं कि 36 साल बीत जाने के बाद भी गैस पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिला है. आज भी गैस पीड़ित उचित मुआवजा और पुनर्वास के लिए तरस रहे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गैस राहत विधवा कॉलोनी का नाम बदलकर जीवन ज्योति कॉलोनी रख दिया. लेकिन कॉलोनी का सिर्फ नाम बदला गया है. आज भी यहां मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है.

पढ़ें:भू-जल को जहरीला कर रहा भोपाल गैस त्रासदी का 'जख्म', 36 साल बाद भी नहीं हटा कचरा

नहीं मिलता गैस पीड़ितों को इलाज

गैस पीड़ितों के इलाज के लिए कई सरकारी अस्पताल भी बनाए गए हैं. जहां पर यह दावा किया जाता है कि गैस पीड़ितों को इलाज दिया जाता है. लेकिन गैस पीड़ित जब यहां इलाज करवाने पहुंचते हैं तो उन्हें सही तरीके से इलाज नहीं मिलता है. पीड़ितों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है. लेकिन इलाज सही तरीके से नहीं मिलता. इसलिए मजबूरन दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है. शहर में आधा दर्जन गैस राहत अस्पताल हैं. इसके बावजूद भी गैस पीड़ितों को सही तरीके से इलाज नहीं मिलता है.

न सड़क, न बिजली, न पानी

गैस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए गैस राहत विधवा कॉलोनी बनाई गई. कॉलोनी में गैस पीड़ितों को बसाया भी गया. बाद में कॉलोनी का नाम बदलकर जीवन ज्योति कॉलोनी रख दिया गया. कॉलोनी के कई इलाकों में ना सड़क है ना ड्रेनेज, ना बिजली और ना पानी है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि सिर्फ नेता वोट लेने आते हैं. उसके बाद दिखाई नहीं देते हैं, कई बार शिकायत की गई. लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. बस यहां लाकर बसा दिया गया और छोड़ दिया गया.

Last Updated : Dec 2, 2020, 10:48 PM IST

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