भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल हो गए हैं. लेकिन आज भी इस त्रासदी के जख्म लोगों के दिलों में ताजा है. इस हादसे में शिकार हुए लोगों में आज भी उनका असर देखा जाता है. वहीं गैस कांड हादसे के लिए वारेन एंडरसन को जिम्मेदार माना जाता है. उसने इस हादसे के बाद भारत छोड़ दिया था. तत्कालीन कलेक्टर मोती सिंह ने सरकारी आदेश के बाद उसे जाने दिया. वहीं यूनियन कार्बाइड के हादसे से लोगों की आज भी यादें ताजा हो जाती है. जबकि त्रासदी में पीड़ित मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं.
नाम बदला लेकिन तस्वीर नहीं बदली
इस हादसे में लोगों के घर उजड़ गए. कई लोगों के परिवार के सदस्यों ने हादसे में अपनी जान गवां दी. वहीं गैस पीड़ित आज भी सरकारों पर आरोप लगा रहे हैं कि 36 साल बीत जाने के बाद भी गैस पीड़ितों को इंसाफ नहीं मिला है. आज भी गैस पीड़ित उचित मुआवजा और पुनर्वास के लिए तरस रहे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गैस राहत विधवा कॉलोनी का नाम बदलकर जीवन ज्योति कॉलोनी रख दिया. लेकिन कॉलोनी का सिर्फ नाम बदला गया है. आज भी यहां मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है.
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