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लॉकडाउन में बना देश का अनूठा सॉफ्टवेयर, राज्यपाल ने कहा- मील का पत्थर साबित होगा युवाओं का योगदान - unique software made of university management

राज्यपाल लालजी टंडन राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने सॉफ्टवेयर टीम के युवाओं के साथ ऑनलाइन चर्चा कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. उन्होंने कहा कि युवाओं का योगदान मील का पत्थर साबित होगा.

unique software made of university management during lock down
लॉकडाउन में बना देश का अनूठा सॉफ्टवेयर

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Published : May 16, 2020, 10:21 AM IST

भोपाल| लॉकडाउन में दिन-रात कार्य कर बिना जान की परवाह किए बगैर लोगों की मदद करने वालों का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्यपाल लालजी टंडन राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने ऑनलाइन डेवलपर टीम के साथ चर्चा की. उनके अनुभव और भविष्य की योजनाओं की जानकारी प्राप्त की.

राज्यपाल ने कहा कि, अगर इच्छाशक्ति और प्रवृत्ति मिल जाए, तो सफलता निश्चित है. लॉकडाउन के दौरान सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट खोजपरक शिक्षा का प्रमाण है. सॉफ्टवेयर का निर्माण कोविड-19 की चुनौती और सीमित संसाधनों के साथ किया गया है. यह भावना सफलता का एकमात्र आधार है.

राज्यपाल ने कहा कि, श्रेष्ठता का आर्थिक आधार अस्थाई है. ज्ञान का भंडार ही श्रेष्ठता का स्त्रोत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट को अवसर के रूप में स्वीकार करने का आव्हान किया है. यह समय युवाओं को उनका ज्ञान उपयोग करना चाहिए. आत्म निर्भरता का नया इतिहास रचने का सही समय है. तकनीक, विधियां और संसाधनों की कोई कमी नहीं है. चुनौती स्वीकार कर कार्य करने के संकल्प की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि, विश्वविद्यालय भविष्य निर्माण का केन्द्र हैं. सॉफ्टवेयर निर्माण क्रांतिकारी कार्य है. इससे आत्म निर्भरता के सुरक्षित भविष्य की संभावनाएं निर्मित हुई हैं. आत्मनिर्भर होने के साथ ही सॉफ्टवेयर की विशेषज्ञता का व्यावसायिक उपयोग कर विश्वविद्यालय आय के नये स्त्रोत विकसित कर सकते हैं. यह तकनीकी दक्षता ज्ञान के आधार को मजबूत बनाएगी. शैक्षणिक सम्भावनाओं में गुणवत्ता, शिक्षण और संस्कृति के क्षेत्र में नये प्रयोग कर अर्थव्यवस्था में सुधार का नया मार्ग दिखाएगी.

राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे ने बताया कि, सॉफ्टवेयर के तैयार होने से भविष्य की अपार सम्भावनाएं निर्मित हुई हैं. शैक्षणिक व्यवस्था के मूलभूत स्वरूप में परिवर्तन हो सकता है. शिक्षण, परीक्षा प्रणाली जैसी मौलिक व्यवस्थाओं में नई परिकल्पनाओं को जगह दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि, विश्वविद्यालयों के पास 24 लाख विद्यार्थियों के साथ सीधे सम्पर्क की सुविधा उपलब्ध हो गई है. अध्ययन घंटों के संधारण के आधार पर परीक्षा परिणाम के निर्धारण जैसी अभिनव सम्भावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि, राज्यपाल की प्रेरणा, संरक्षण, विश्वास ने कार्य के प्रति सकारात्मक वातावरण उपलब्ध कराया है, जो सफलता का मूल स्त्रोत है. उन्होंने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील कुमार द्वारा निर्माण कार्य में अच्छा कदम उठाने और फंक्शनल रिक्वायरमेंट सिस्टम को तैयार कराने में विश्वविद्यालयों के सहयोग का भी उल्लेख किया.

कुलपति सुनील कुमार ने बताया कि, लॉकडाऊन की चुनौती के बीच वर्क फ्रॉम होम की नई कार्य संस्कृति और विश्वविद्यालयों की आत्मनिर्भरता के नये दौर की शुरुआत विश्वविद्यालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर का निर्माण है. उन्होंने बताया कि, छात्र-छात्राओं द्वारा दिया जाने वाला शुल्क अब उनके शैक्षणिक विकास में उपयोग होगा. उन्होंने बताया कि, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का कार्य 20 सदस्यीय टीम द्वारा किया गया है. इसमें 10 सदस्य विश्वविद्यालय के अध्ययनरत छात्र हैं. शेष 10 पहले के अध्ययन कर चुके छात्र शामिल है.

राज्यपाल ने इस अवसर पर सॉफ्टवेयर डेवलपर टीम के सदस्यों के साथ चर्चा की. सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट हेमराज ने बताया कि, देश में कहीं भी विश्वविद्यालयों का एकीकृत प्रोजेक्ट संचालित नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि, यह सॉफ्टवेयर कॉरपोरेट फील के साथ बना है. डेवलपर नेमा ने बताया कि, यह बहुत आगे जाने वाला सॉफ्टवेयर है .

राज्यपाल ने इस अवसर पर सॉफ्टवेयर डेवलपर टीम के सदस्यों के साथ चर्चा की. सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट हेमराज ने बताया कि, देश में कही भी विश्वविद्यालयों का समन्वित प्रोजेक्ट संचालित नहीं हो रहा है.

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