भोपाल। 'कोवैक्सीन' के थर्ड स्टेज का क्लीनिकल ट्रायल शुक्रवार से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ. इसके लिए भारत बायोटेक ने कॉलेज को अपनी कोवैक्सीन के एक हजार डोज भेजे हैं. पहला टीका 46 साल के एक शिक्षक को दिया गया है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन अब भी जारी है. जिन वॉलेंटियर्स को ये टीका लगेगा उन्हें बाद में बूस्टर डोज 28 दिनों के बाद दिया जाएगा. कोरोना वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर और भारत बायोटेक इंटरनेशनल द्वारा विकसित की गई है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है. कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के पहले दिन वॉलेन्टियर बने 46 वर्षीय शिक्षक के अलावा 100 और लोगों को भी टीका लगाया जाएगा. काउंसलिंग के बाद ही सभी वॉलेंटियर को टीका लगाया जा रहा है. साथ ही उन्हें 750 रुपए भी दिए जाएंगे.
पहले दिन 10 लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन
देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को कोरोना वैक्सीन का इंतजार है. राजधानी भोपाल में थर्ड फेज के ट्रायल में शामिल लोगों का कहना है कि ये गर्व की बात है वो इसमें शामिल हो रहे हैं. यह वैक्सीन भारत मे तैयार की गई है. राजधानी में इसके ट्रायल को लेकर काफी उत्सुकता है. पीपुल्स अस्पताल के डीन ने बताया कि अस्पताल में 3 दिन पहले ये वैक्सीन आई है. जिसका ट्रायल आज से शुरू हुआ. इसमें जिन वॉलेंटियर्स की काउंसलिंग की जा रही है, उन्हें ही टीका लगेगा और निगरानी में रखा जाएगा. कुल एक हजार वैक्सीन के डोज अस्पताल को मिले हैं. पहले डोज के 28 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाएगा. ट्रायल में किसी भी हेल्थ वर्कर्स को ये टीका नहीं लगाया जाएगा, क्योंकि इन्हें कोविड के एक्सपोजर का खतरा दूसरे वालेंटियर से ज्यादा है.
गर्भवती महिलाओं को नहीं लगेंगे टीके
मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक आलोक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि आज से 28 दिन तक यह ट्रायल चलेगा. जिस वॉलेंटियर को कोई बीमारी पहले से ना हो उसे ही टीका लगाया जाएगा. गर्भवती महिलाओं को वॉलेंटियर नहीं बनाया जाएगा. इसमें 18 साल से लेकर और 99 तक के एज ग्रुप के लोग ही शामिल हो सकेंगे. अगले 10 दिन तक वैक्सीन ट्रायल में 2 से 3 हजार लोगों शामिल किया जाएगा. बाद में उनकी जांच भी होगी. जिन वॉलेंटियर को वैक्सीन की डोज दी जा रही है, उनमें भोपाल के बड़े कारोबारी दंपति भी शामिल हैं.
वैक्सीन की पहली डोज के बाद ईटीवी भारत से क्या बोले टीचर
शिक्षक को वैक्सीन की पहली डोज आज पौने तीन बजे लगाई गई. वैक्सीन लगने से पहले शिक्षक का RTPCR टेस्ट हुआ. वॉलेंटियर ने डॉक्टर्स और नर्स को बताया कि उसे किसी किस्म की कोई तकलीफ महसूस नहीं हो रही. इस ट्रायल में हर वर्ग और 18 साल के ऊपर अलग-अलग एज ग्रुप के लोगों को शामिल किया गया है. जिसमें किसान, कारोबारी, छात्र और बुजुर्ग भी शामिल हैं. डोज लगने के बाद ईटीवी भारत से वॉलेंटियर ने कहा कि वो सामान्य है और उसे गर्व है कि वो वैक्सीन के थर्ड फेज के ट्रायल का हिस्सा बना.
गांधी मेडिकल कॉलेज में भी ट्रायल हो सकता शुरू