भोपाल। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार मध्य प्रदेश में कई प्रयास कर रही है. इसके बाद भी नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा. जो निराशाजनक था. मध्य प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में कई नए नवाचार किए. लेकिन इसका भी कोई असर देखने को नहीं मिला.
अलविदा 2019: शिक्षा की गुणवत्ता में दर्ज की गई गिरावट, 15वें स्थान पर पहुंचा एमपी - भोपाल न्यूज
नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में मध्य प्रदेश शिक्षा की गुणवत्ता में 15वें स्थान पर रहा.
मध्य प्रदेश में इस साल शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रयास किए गए फिर चाहे बात शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार की हो या फिर शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रदेश में इस साल सरकार ने शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही करीब 35 हजार शिक्षकों के ट्रांसफर किए. वहीं कमजोर रिजल्ट देने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी.
⦁ वहीं 10वीं और 12वीं की परीक्षा में खराब रिजल्ट देने वाले स्कूलों के शिक्षकों की दक्षता परीक्षा हुई. ऐसा पहली बार हुआ जब शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली गई और फेल होने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई.
⦁ इसके साथ ही प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पहली बार पेरेंट्स टीचर मीट की शुरुवात की गई. साथ ही कॉपी चेकिंग अभियान की भी शुरुवात हुई. जिससे स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी.
⦁ इसके साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को दक्षिण कोरिया, दिल्ली और लखनव के स्कूलों का दौरा कराया गया. दक्षिण कोरिया की शिक्षा प्रणाली को प्रदेश के शाकीय स्कूलों में लागू करने की तैयारी भी साल 2019 में हुई. इससे प्रदेश के स्कूलों में कई बदलाव देखे गए.
⦁ इसके साथ ही शासकीय स्कूलों के स्पष्ट अक्षर के सुधार के लिए भी कई कदम उठाए गए. करीब 1 हजार स्मार्ट स्कूल बनाने का लक्ष्य सरकार ने तय किया.