भोपाल। शिक्षकों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई का शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. शिक्षकों का कहना है कि पहले शिक्षा की दुर्गति करने वाले अधिकारियों की परीक्षा ली जाए और जिम्मेदारी तय की जाए. उसके बाद फिर शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए. सरकार द्वारा शिक्षकों का अनिवार्य सेवानिवृत्ति देना सरकार का अव्यहवारिक फैसला है और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का शिक्षक संगठन ने किया विरोध, मंत्री से की मौका देने की मांग - शिक्षकों की सेवानिवृत्ति
मध्यप्रदेश में शिक्षकों पर कार्रवाई कर सेवानिवृत्ति देने के विरोध में शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं. शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि सेवानिवृत्ति शिक्षकों को दोबारा मौका दिया जाए.
मध्यप्रदेश में पहली बार 16 शिक्षकों को सेवानिवृत्ति दी गई है. दक्षता परीक्षा में दो बार फेल होने के बाद शिक्षकों पर ये कार्कोरवाई की गई है. जिसका शिक्षक संगठन विरोध कर रहा है. स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभुराम चौधरी के बंगले पर पहुंचे शिक्षकों ने सेवानिवृत्ति का जमकर विरोध किया और शिक्षकों को दोबारा मौका देने की मांग की है.
मध्यप्रदेश में पिछले सात सालों से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है. एक लाख से अधिक विद्यालय में शिक्षकों के पद रिक्त हैं. पांच हजार स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 10 हजार शिक्षकों को अन्यत्र कामों में लगा रखा है. विद्यालयों में भी शिक्षकों को बिल्कुल पढ़ाने का समय न देकर गैर शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त रखा जाता है. ऐसे में सरकार अगर शिक्षकों को सेवानिवृत्ति देने का फैसला लेती है तो शिक्षक संगठन इसका कड़ा विरोध करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि शिक्षकों को दोबारा मौका दिया जाए.