भोपाल। भले ही मई-जून की झुलसाने वाली गर्मी आने में कुछ वक्त बाकी है, पर मध्यप्रदेश के सियासी टेंप्रेचर ने सबका प्रेशर बढ़ा रखा है, पूरे देश की निगाहें एमपी के सियासी नाटक पर टिकी है. भोपाल से शुरू हुई सत्ता की ये लड़ाई गुरूग्राम-बेंगलुरू वाया दिल्ली पहुंच गई है, जहां सत्ता का फाइनल मुकाबला होना है. बुधवार को चार घंटे तक चली सुनवाई के बाद भी इस विवाद का कोई मुकम्मल हल नहीं निकल पाया था, आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
सियासी टेम्प्रेचर ने बढ़ाया बीजेपी-कांग्रेस का प्रेशर, सत्ता की लड़ाई पर 'सुप्रीम सुनवाई'
मध्यप्रदेश का मौसम भले ही अभी बहुत गर्म नहीं है, लेकिन सियासी गर्मी ने इस कदर उमस बढ़ा रखी है कि हर कोई बेचैन नजर आ रहा है, खासकर कांग्रेस और बीजेपी.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले ही प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बेंगलुरू पहुंच गए और बागी विधायकों से मिलने की जिद पर अड़ गए, लेकिन पुलिस के आगे उनकी सारी कोशिश बेकार गई, जिसके बाद वो वहीं धरने पर बैठ गए, उनके साथ कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के अलावा मध्यप्रदेश के कई मंत्री व विधायक भी मौजूद रहे, कांग्रेसियों को धरने से उठाने की पुलिस की कोशिश नाकाम हुई तो पुलिस ने दिग्विजय सहित 13 कांग्रेसियों को हिरासत में ले लिया, जबकि कुछ देर बाद ही सभी को जमानत पर रिहा कर दिया.
मार्च महीने के शुरूआत से ही मध्यप्रदेश का सियासी संकट गहराने लगा था, जिसका मुकम्मल थाह 18 मार्च तक भी नहीं लग पाया है. तीन मार्च को दिग्विजय सिंह के आरोप के बाद सियासी सकंट से धीरे-धीरे पर्दा हटने लगा.