भोपाल।कोरोना काल में हर कोई आर्थिक संकट से गुजर रहा है. लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही है. वहीं अभी भी ऐसे कई लोग है जो कोरोना के संकट से उभरे नहीं है. राजधानी के हिंदी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सृजल शुक्ला के पास कॉलेज की फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसके चलते दिवाली के त्योहार में सृजल ने मूर्तियां बेचने का काम शुरू कर दिया है.
अटल बिहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय का छात्र सृजल शुक्ला कॉलेज की फीस जमा करने के लिए दिवाली के त्योहार में कमाई के अवसर ढूंढ रहा है. न्यू मार्केट की एक दुकान के बाहर छोटी सी टेबल लगाकर सृजल लक्ष्मी जी की मूर्तियां बेच रहा है. सृजल के पिताजी को कुछ माह पहले हार्ट पेशेंट हैं और वे काम पर नहीं जा पा रहे हैं. पिता के घर पर रहने की वजह से घर में आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है, जिसके चलते सृजल कॉलेज की फीस जमा नहीं कर पा रहा है.
सृजल ने बताया कॉलेज से फीस के लिए लगातार नोटिस मिल रहे थे. फीस नहीं भरने पर अगली कक्षा में प्रवेश नहीं मिल रहा था. जिसके लिए पहले उसने सोचा कि जॉब की जाए लेकिन जॉब करने में एक माह के बाद सैलरी मिलती और फीस भरने के लिए इतना समय नहीं बचा है. इसलिए खुद का बिजनेस करने का सोचा. जिसके लिए पैसे नहीं थे ऐसे में सृजल ने मार्केट में बिक रही साधारण मूर्तियों को खरीदा और उन्हें सजाकर ज्यादा दामों में बेचना शुरू कर दिया. जिससे सृजल ने इतने पैसे कमा लिए हैं कि वो कॉलेज की आधी से ज्यादा फीस जमा कर पाएगा.