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बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये बच्चों की सुरक्षा करना बहुत जरुरी- महिला बाल विकास मंत्री

इस कार्यशाला में मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती, किशोर न्याय कोर्ट के चेयरपर्सन न्यायाधीश जे. के. महेश्वरी , यूनिसेफ के माईकल जुमा , प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास अनुपम राजन ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए .एक दिवसीय कार्यशाला में न्यायाधीश सुजॉय पॉल, अन्जुली पालो, जी.एस. अहलूवालिया ने भी विचार व्यक्त किये.

किशोर न्याय की राज्य-स्तरीय कार्यशाला का आयोजन

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Published : Sep 29, 2019, 2:53 AM IST

भोपाल| राजधानी के प्रशासन अकादमी में किशोर न्याय की राज्य-स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी के द्वारा किया गया. इस कार्यशाला का उद्देश्य बच्चों को सही परवरिश और समुचित शिक्षा था.


कार्यशाला को संबोधित करते हुए महिला-बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये बच्चों की सुरक्षा करना बहुत आवश्यक है. यह सुनिश्चित करना समाज की महती जिम्मेदारी है कि बच्चे भेदभाव, उपेक्षा, शोषण और हिंसा से मुक्त वातावरण में बड़े हों. इमरती देवी ने कहा कि बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, शोषण और हिंसा के लक्षण, स्थितियां और संकेतों को चिन्हांकित कर बच्चों पर इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिये सकारात्मक वातावरण बनाना जरुरी है. उन्होंने कहा कि अनाथ बच्चों को जल्द से जल्द परिवार मिले, इसकी कोशिश होने चाहिए.


मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती ने कहा कि आज हमें ऐसे संस्थानों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जो अनाथ एवं अपराधों में लिप्त बच्चों की मदद करें. उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चा तभी सुरक्षित और संरक्षित हो सकता है, जब विभिन्न समुदाय बच्चों की उपेक्षा, हानि और उन पर संभावित हिंसा को रोकने में जिम्मेदारी ले. उन्होंने कहा कि संस्थाएं किशोर अवस्था के बच्चों को उन पर होने वाले अपराध को समझने और पहचानने में मदद करें. उन्हें अपनी समस्याओं और चुनौतियों का समाधान खोजने में भागीदारी करने का मौका दें.

किशोर न्याय की राज्य-स्तरीय कार्यशाला का आयोजन


किशोर न्याय कोर्ट के चेयरपर्सन न्यायाधीश जे. के. महेश्वरी ने कहा कि वर्तमान में हमें बच्चे तो दिखते हैं लेकिन उनका बचपन गायब है. किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य हर अपराध के लिये बच्चों को दंडित करना नहीं है. कई बार गलती स्वीकारना भी पर्याप्त होता है .हमें यह जानना भी जरूरी है कि बच्चे ने किस परिस्थिति में अपराध किया है . महेश्वरी ने कहा कि कार्यशाला में वैकल्पिक देखभाल तथा परिवार को मजबूत करना, अनाथ बच्चों को परिवार से जोड़ना, गुणवत्तापूर्ण संस्थागत देखभाल, मॉनिटरिंग, डाटा मेनेजमेन्ट जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की जायेगी.


वहीं यूनिसेफ के माईकल जुमा ने कहा कि यह हमारी प्रतिबद्धता है कि बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहें . इसके लिये कानून और योजनाएँ बनाई गई हैं . इन पर अमल करना महत्वपूर्ण है . जिले और ब्लाक स्तर पर इसके लिये काम करने की आवश्यकता है . उन्होंने कहा कि यूनिसेफ और महिला-बाल विकास विभाग प्रदेश में बच्चों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा को रोकने और उन्हें सुरक्षित माहौल देने के लिये काम कर रहे हैं .


प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास अनुपम राजन ने कहा कि सर्वे के अनुसार लगभग 3 करोड़ बच्चे अनाथ हैं . इसके विरुद्ध बाल देखभाल संस्थाएं मात्र 5 लाख हैं . बच्चों का सही विकास परिवार के साथ ही होता है. हमें संस्थागत की अपेक्षा गैर संस्थागत देखभाल को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है.हमारी सफलता इसमें है कि हमारे झूला-घरों में एक भी बच्चा न हो, सभी को पूरा परिवार मिले .

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