भोपाल। प्रदेश का किसान वैसे भी प्राकृतिक आपदाओं से परेशान हैं. मार्च के महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उसे हलाकान कर दिया है. दूसरी तरफ कोरोना महामारी के लॉकडाउन के कारण खेतों में खड़ी फसल कट नहीं पा रही है. लॉक डाउन के कारण मजदूर जहां घरों में कैद हो गए हैं, तो दूसरी तरफ सीमा सील हो जाने के कारण दूसरे राज्यों से आने वाले हार्वेस्टर भी नहीं आ सके हैं, जिससे किसानों के लिए एक नई परेशानी खड़ी हो गई है.
नहीं कट पा रही गेहूं की खड़ी फसल किसान बंटी शर्मा कहते हैं कि पानी गिरने से दाना पतला और काला पड़ गया है. हार्वेस्टर जैसे ही आते हैं, तो फसल कटवाएंगे. मजदूर तो आ नहीं रहे हैं, क्योंकि सरकार ने ऐसा नियम बनाया है कि कोई भी दिखता है, तो लठमारी पहले ही हो रही है. वहीं किसान दीपेश सिंह बताते हैं कि गाड़ी नहीं आ पा रही है, मजदूर नहीं आ पा रहे है. फसल को कौन काटेगा, लगता है, अब खड़ी फसल नष्ट हो जाएगी. सरकार कुछ करेगी, तो कुछ होगा.
किसानों का हाल बेहाल
राजधानी भोपाल से लगे इलाकों में किसानों को खेत में खड़ी और पूरी तरह पक गई गेहूं की फसल काटने में काफी दिक्कत आ रही है. पिछले दिनों अचानक हुई बारिश से जहां गेहूं का दाना कमजोर पड़ गया था. वहीं फसल पक जाने के बाद समय पर नहीं कटने के कारण गेहूं की फली नष्ट होने की कगार पर है. राजधानी से लगे इलाकों में जब अपनी फसल काटने के लिए किसान इतना परेशान हैं, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों के क्या हाल होंगे.
अन्य राज्यों से आते हैं हार्वेस्टर
एक तरफ जहां चना और मसूर की फसल के लिए मजदूरों की जरूरत होती है, तो दूसरी तरफ गेहूं की फसल के लिए किसान ज्यादातर हार्वेस्टर का उपयोग करते हैं. मध्यप्रदेश में ज्यादातर हार्वेस्टर पंजाब और हरियाणा से आते हैं. लेकिन लॉक डाउन के कारण इस बार हार्वेस्टर नहीं आ सके. हालांकि सरकार ने फसल कटाई की चिंता करते हुए हार्वेस्टर के लिए छूट दी थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण हार्वेस्टर प्रदेश में ना के बराबर आए. अब हालत यह है कि किसान की फसल खेत में खड़ी है और लगातार गर्मी बढ़ने के कारण गेहूं की फली चटकने लगी है. अगर किसान समय पर फसल नहीं काट पाया तो खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो जाएगी.