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वरिष्ठता की मांग पर शिक्षकों ने राज्य सरकार को दी ये चेतावनी

मध्यप्रदेश गुरूजी संवर्ग से अध्यापक बने शिक्षकों की मांग है कि उन्हें वरिष्ठता नियुक्ति दिनांक से दी जाए, भले ही उन्हें एरियर का भुगतान न किया जाए. अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो मजबूरन उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा.

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Published : Jan 20, 2020, 7:38 PM IST

Updated : Jan 20, 2020, 8:02 PM IST

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गुरुजी संवर्ग पहुंचा राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग

भोपाल। कमलनाथ सरकार को अतिथि शिक्षकों के आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है, इस बीच शिक्षा विभाग के गुरूजी की नियुक्ति की तारीख से वरिष्ठता की मांग को लेकर आंदोलन का मन बना रहे हैं. इसी सिलसिले में आदर्श शिक्षक संघ के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य से मुलाकात करने पहुंचा और अपनी समस्या बताई. गुरूजी संवर्ग से अध्यापक बने इन सभी लोगों की मांग है कि उन्हें वरिष्ठता नियुक्ति दिनांक से दी जाए, भले ही उन्हें एरियर का भुगतान न किया जाए. अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो मजबूरन उन्हें आंदोलन करना पड़ेगा. संघ ने एरियर की मांग नहीं करने पर आयोग ने इसे अनार्थिक मांग मानते हुए सरकार से मांग पूरी कराने का मन बना लिया है.

वरिष्ठता की मांग को लेकर गुरुजी संवर्ग पहुंचा कर्मचारी कल्याण आयोग

आदर्श शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि पिछले 22 सालों से हमारी मांग नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता की रही है. जैसा कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाती है, इसके बावजूद गुरु जी एक ऐसा संवर्ग है, जिसे नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता नहीं दी गई है. इस मामले में उन्होंने कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल, मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को ज्ञापन सौंपे हैं.

गुर्जर ने बताया कि हमारे साथ विसंगति तब शुरू हुई, जब मध्यप्रदेश शासन ने शिक्षा विभाग के सभी वर्गों का भेद समाप्त करते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की. 19 दिसंबर 2005 को गठित डीपी कमेटी ने संविदा शिक्षक, शिक्षा कर्मी और गुरुजी के अंतर को समाप्त कर अध्यापक संवर्ग गठित करने की सिफारिश की थी. इस गठन में केवल गुरुजी संवर्ग को छोड़कर संविदा शिक्षक और कर्मियों को अध्यापक संवर्ग में एक अप्रैल 2007 से शामिल कर लिया गया. इनके लिए पिछली सेवा अवधि की गणना कर क्रमोन्नति दी गई. गुरुजी को न अध्यापक बनाया गया और न ही क्रमोन्नति दी गई. इसके बाद 2008 में एक पात्रता परीक्षा ली गई. इस वर्ग को अध्यापक न बनाते हुए संविदा शिक्षक बनाया और 3 साल की सेवा अवधि के बाद अध्यापक वर्ग में शामिल किया गया.

मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण आयोग के सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि पूर्व में इनके हित में जो फैसले हुए हैं, उनकी प्रतिलिपि लेकर आएं और एक शपथ पत्र लगा दें कि वे इस समय अवधि के पहले के जो एरियर है, वो नहीं लेंगे. ऐसी स्थिति में इनका मामला सरल हो जाएगा. आयोग के अध्यक्ष मानवीय संवेदनशील हैं. वे कर्मचारियों की दिक्कतों को सुलझाने की कोशिश जरुर करेंगे. उम्मीद है कि गुरुजी संवर्ग के सदस्य आयोग के समक्ष आएंगे और आयोग उन्हें निराश नहीं करेगा.

Last Updated : Jan 20, 2020, 8:02 PM IST

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