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National Doctors Day: जिंदगी बचाने वाले धरती पर भगवान का अवतार हैं डॉक्टर्स - Corona warriors being the victim of stress

हर साल एक जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करते हुए लगातार काम कर रहे हैं.

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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस स्पेशल

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Published : Jul 1, 2020, 2:05 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 2:24 PM IST

भोपाल। जब भी समाज में चिकित्सक 'शब्द' का प्रयोग किया जाता है तो आंखों के सामने एक ऐसा चेहरा आता है, जो सेवा के प्रति समर्पित और रोगियों की आशा का केंद्र होता है. धरती पर भगवान का दूसरा रुप डॉक्टर को माना जाता है. कोरोना काल में डॉक्टर्स ने एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि ये मानव जीवन बचाने वाले धरती पर भगवान के अवतार हैं. पूरी दुनिया में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस की शुरुआत से ही ये कोरोना योद्धा बिना किसी खौफ के लगातार अपना फर्ज निभा रहे हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस स्पेशल

डॉक्टरों की बढ़ रही जिम्मेदारी

कोविड-19 की ड्यूटी कर रहे कुछ कोरोना योद्धा तो ऐसे भी हैं, जो अपना घर-परिवार छोड़ मरीजों की सेवा में लगे हैं. पिछले करीब चार महीने से डॉक्टर्स ड्यूटी पर डटे हैं, अब इन कोरोना योद्धाओं के लिए अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना मुश्किल होता जा रहा है. कोरोना संक्रमण के मामले जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेजी से डॉक्टरों की जिम्मेदारी भी बढ़ रही है. ये योद्धा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों से भी गुजर रहे हैं. कोरोना काल में कुछ डॉक्टर्स मानसिक तनाव का भी शिकार हो गए हैं.

वर्तमान में डॉक्टर्स की स्थिति

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉक्टर राकेश मालवीय ने बताया कि इस वक्त डॉक्टर्स अपनी निजी जिंदगी भूल कर कोरोना वायरस से लोगों को बचाने की कोशिश में लगे हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि वे परेशान और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं. डॉक्टर्स मरीजों के इलाज के कारण जितना दबाव महसूस नहीं कर रहे हैं, उससे ज्यादा वो अधिकारियों के रवैये के कारण तनाव में रहते हैं. घंटों काम करने के बाद भी बड़े अधिकारियों का रवैया कई बार डॉक्टर्स के लिए सही नहीं होता. कोरोना वायरस एक लंबी बीमारी है, जो कब तक नियंत्रण में आएगी, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. इसलिए ऐसा मानना है कि अधिकारियों को डॉक्टर्स से सिर्फ डॉक्टरी ही करवाना चाहिए. प्रशासन डॉक्टर्स से एक निश्चित समय सीमा में काम करवाएं और डॉक्टर के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे.

डॉक्टर्स न बदलें अपनी दिनचर्या

मनोचिकित्सक डॉक्टर राहुल शर्मा सलाह देते हैं कि डॉक्टर्स हमेशा से चली आ रही अपनी दिनचर्या को न बदलें. ऐसा देखा जा रहा है कि कई डॉक्टर्स घंटों लगातार काम कर रहे हैं और कम समय आराम कर रहे हैं. अगर डॉक्टर्स निर्धारित समय तक आराम नहीं करेंगे तो अपना काम बेहतर तरीके से नहीं कर सकेंगे. साथ ही तमाम अव्यवस्थाएं हो गई हैं, उन्हें व्यवस्थित करने की कोशिश करें. शर्मा ने कहा कि डॉक्टर्स समय निकालकर मेडिटेशन और योगा करें, इससे बेहतर महसूस करेंगे. अपने प्रियजनों, परिजनों के साथ हो सके तो समय बिताएं, उनसे बातचीत करें. ये छोटी-छोटी आदतों को अपनाने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा और काम करने में भी तनाव महसूस नहीं होगा.

कोरोना काल में डॉक्टरों में तनाव

पिछले दिनों राजधानी भोपाल के जिला अस्पताल में कोरोना ड्यूटी कर रहे तीन डॉक्टर तनाव के कारण अटैक का शिकार हुए हैं. कोरोना महामारी के कठिन काल में डॉक्टर्स के लिए खुद का ख्याल रखना अब चुनौती सा बन गया है. इससे निपटने के लिए जरूरी है कि हर एक कोरोना योद्धा से उसके मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही काम करवाया जाए, जिससे वह अपने लिए भी समय निकाल पाएं और किसी तरह के दबाव से उनके काम पर असर न पड़े.

डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता हैं?

हर साल एक जुलाई को देश भर में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. 1 जुलाई को देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय (Dr.Bidhan Chandra Roy) का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है. ये दिन उन्हीं की याद में मनाया जाता है. इसके अलावा ये खास दिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले उन तमाम डॉक्टरों को समर्पित है, जो हर परिस्थिति में डॉक्टरी मूल्यों को बचाए रखते हुए अपना फर्ज निभाते हैं और मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराते हैं. भारत सरकार ने सबसे पहले नेशनल डॉक्टर्स डे सन 1991 में मनाया था.

नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत

भारत में इसकी शुरुआत सन 1991 में तत्कालीन सरकार द्वारा शुरु की गई थी. तब से हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. ये दिन भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है.

Last Updated : Jul 1, 2020, 2:24 PM IST

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