झाबुआ।कोरोना वायरस ऐसी आंधी बनकर आया जिसने सबकुछ बर्बाद कर दिया. कोरोना के कहर के बाद लगे लॉकडाउन से हर वर्ग परेशान हुआ. उद्योगधंधे चौपट हो गए. खासकर छोटे व्यापारियों की तो कमर ही टूट गई है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान जो जमा पूंजी सालों से जोड़कर रखी थी वो भी खर्च हो चुकी है. ऐसे में उनको अपना धंधा शुरू करने में खासी परेशानी हो रही है, जिन्होंने जैसे-तैसे कर काम शुरू भी किया तो लोगों की आवाजाही कम होने से लागत निकालना मुश्किल हो रहा है.
बात अगर झाबुआ जिले की करें तो यहां चाय वाले से लेकर चाट फुल्की और पानीपुरी वालों को घर चलाने की चिंता है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनका धंधा ठप है. इन दिनों चाय बेचने वालों की हालत खराब है. लॉकडाउन के चलते तीन महीनों तक पहले दुकान बंद रही और अब ग्राहकों की कमी से सड़क किनारे चाय की दुकान लगाने वाले दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ये हाल झाबुआ शहर का नहीं बल्कि पूरे जिले की चाय दुकानदारों का है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के आसपास दुकान लगाने वाले लोगों के साथ-साथ प्रमुख मार्गों पर चाट, भेल ,पावभाजी, आइसक्रीम और नाश्ते की दुकान लगाने वालों का व्यापार कोरोना के चलते आधे से आधा रह गया है.
फव्वारा चौक पर नाश्ते का ठेला लगाने वाले पीयूष बताते हैं कि उनकी दुकान शाम 6 बजे के बाद लगती है और प्रशासन के आदेश के चलते रात 8 बजे उन्हें दुकान बंद करना पड़ती है, ऐसे में महज 10-20 ग्राहक ही उनकी दुकान पर आ पाते हैं. चाट का ठेला लगाने वाले मुकेश का कहना है कि कोरोना महामारी के डर के चलते बाहर के खाने के शौकीन लोगों ने बाहर(ठेलों) का खाना कम कर दिया है जिससे उनका व्यापार ठप सा हो गया है. कई ठेला संचालक किराए के मकान में रहते हैं और पिछले तीन महीनों से धंधा बंद रहने के कारण मकान किराया, लाइट बिल भरने में भी उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा.