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मार्कफेड ने घोटा छोटी कंपनियों का गला, बड़ी कंपनियों को किया मालामाल

मार्कफेड की करतूत के चलते करीब डेढ़ सौ लघु और मध्यम कीटनाशक कंपनियां भारी संकट से जूझ रही हैं. इन कंपनियों में तालाबंदी की नौबत आ गई है.

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Published : Oct 2, 2019, 11:56 PM IST

भारी संकट से जूझ रहीं कीटनाशक कंपनियां

भोपाल। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय वादा किया था कि छोटी कंपनियों और स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए सरकार बनने पर प्रोत्साहन दिया जाएगा, लेकिन मार्कफेड की करतूत के चलते करीब डेढ़ सौ लघु और मध्यम कीटनाशक कंपनियां भारी संकट से जूझ रही हैं. इन कंपनियों में तालाबंदी की नौबत आ गई है और मार्कफेड पिछले 2 साल से करीब 5 हजार करोड़ से ज्यादा का कीटनाशक बड़ी कंपनियों से बिना टेंडर कराए खरीद चुका है. इस मामले में एमपी एग्रो ने अभिव्यक्ति की अभिरुचि जारी की थी, जिसमें मार्कफेड और नेफेड से रेट अनुमोदन वाली कंपनियों से ही पेस्टिसाइड खरीदी जानी थी, लेकिन इसमें पहले आए पहले पाएं का नियम जोड़कर बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई.

भारी संकट से जूझ रहीं कीटनाशक कंपनियां

इस मामले में एक ऐसी ही लघु कंपनी के रवि निगम का कहना है कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में वादा किया था कि लघु उद्योग और स्टार्टअप का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन छोटी-छोटी कंपनी वाले इन दिनों बहुत परेशान हैं. कई कर्मचारी आत्महत्या की कोशिश कर चुके हैं. इन कंपनी वालों का आरोप है कि इसमें मार्कफेड की मिलीभगत है. ऐसा लग रहा है कि वो सिर्फ दो- तीन बड़ी कंपनियों के साथ काम करना चाहती है.

वहीं इस मामले में मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता फिरोज अहमद सिद्दीकी का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने इस मामले में वादा किया था कि छोटी कंपनियों और स्टार्टअप को हम प्रोत्साहन देंगे. महात्मा गांधी भी ऐसा ही चाहते थे, लेकिन ये क्यों नहीं हो रहा है और कौन से अधिकारी हैं, जो इस मामले में संलिप्त हैं, उनके खिलाफ शासन जांच कराएगा.

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