भोपाल।कोरोना संकट के बीच शिवराज सरकार ने आर्थिक संकट के नाम पर 4.50 लाख कर्मचारियों को 1500 करोड़ का एरियर भुगतान करने के नाम पर हाथ खींच लिए हैं. कर्मचारियों द्वारा कोषालय के पोर्टल पर बिल नहीं लग रहे हैं. बिल लगाने पर “सेवा उपलब्ध नहीं है” का संदेश आ रहा है.
प्रदेश सरकार के फैसले से विपक्ष नाराज सातवें वेतनमान के एरियर्स की तीसरी किस्त मई माह में कर्मचारियों को मिलनी थी. लेकिन शिवराज सरकार ने आर्थिक संकट का हवाला देते हुए एरियर की तीसरी किश्त पर रोक लगा दी है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जताई है. कर्मचारी संगठनों का कहना है कि महंगाई बढ़ने के कारण कर्मचारी वर्ग परेशान है. ऐसी स्थिति में सरकार लगातार कटौती करती जा रही है. वहीं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने भी शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए इसे कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात बताया है.
दरअसल मध्यप्रदेश के 4.50 लाख शासकीय कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के निर्धारण के बाद 18 माह के बडे़ हुए वेतन के एरियर्स की तीसरी किश्त मई 2020 में मिलनी है. लेकिन शिवराज सरकार ने आदेश जारी करते हुए एरियर भुगतान पर रोक लगा दी है. जिससे प्रदेश के 4.50 लाख कर्मचारियों के एरियर्स की राशि लटक गई है. सरकार 1500 करोड़ के भुगतान से बचती नजर आ रही है. एरियर्स की किस्त न मिलने से कर्मचारियों को 15 हजार से 50 हजार रूपये तक का आर्थिक नुकसान होगा.
प्रदेश में राज्य सरकार के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान के अंतर्गत पुनरीक्षित बडे़ हुए वेतन का लाभ एक जनवरी 2016 से दिया गया. नगद भुगतान एक जुलाई 2017 से किया गया. प्रदेश के कर्मचारियों को मई 2018 की पहली किश्त व मई 2019 की दूसरी किस्त मिल चुकी है. मई 2020 में ऐरियर की तीसरी किस्त मिलनी है. मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित कर मांग की है कि प्रदेश के 4.50 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतन निर्धारण के उपरांत बडे़ हुए वेतन के ऐरियर्स की तीसरी किश्त का भुगतान शीघ्र किया जाए.