भोपाल। शारदीय नवरात्रि की नवमी आज 4 अक्टूबर को मनाई जा रही है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है. महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा की जाती है. बता दें, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र धृति योग मकर राशि के चंद्रमा में प्रबल गजकेसरी योग के साथ महानवमी का पावन पर्व मनाया जाता है.
महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है. मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. अनहोनी से भी सुरक्षा प्राप्त होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष भी मिलता है. महानवमी के दिन कन्या पूजन और नवरात्रि हवन का भी विधान है.
माता को चढ़ाए जाते हैं 9 प्रकार के पुष्प:आज है महानवमी का पावन पर्व: इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा अर्चना और आरती की जाती है. 'या देवी सर्वभूतेषु माता सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः' इस महामंत्र के द्वारा माता सिद्धिदात्री की उपासना करनी चाहिए. माता सिद्धिदात्री चार भुजाओं से युक्त हैं. यह अज्ञानता को दूर कर पूर्णता प्रदान करने वाली है. मुख्य रूप से आठ सिद्धियां मानी गई है और नौ सिद्धियां होती है माता की कृपा से अष्ट सिद्धि को प्राप्त करने का मनुष्य अधिकारी बन पाता है. आज के दिन माता को 9 प्रकार के पुष्प चढ़ाए जाते हैं. माता को सिंदूर, रोली, कुमकुम, बंधन और सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है. जिससे माता की प्रसन्नता भक्तों को प्राप्त होती है.