भोपाल(Bhopal)। हमारे देश में सेक्स एजुकेशन(sex education in india) के बारे में लोग खुल कर कम ही बात करते हैं. लेकिन जैसे जैसे समय बदल रहा है. वैसे वैसे बच्चों के लिए यह एजुकेशन सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है.आज के समय में हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है और इस मोबाइल में हर तरह की पोर्न फिल्मों से लेकर अश्लील सामग्री मौजूद है. ऐसे में बच्चे सेक्स एजुकेशन (sexual health in men and women)के अभाव में गलत संगति में आकर उस रास्ते पर चले जाते हैं.जहां उन्हें निराशा ही हाथ लगती है.सेक्स एजुकेशन(sex education) की सहायता से किशोर और किशोरियां किसी भी तरह के यौन रोगों से खुद को बचाकर अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. कई बार ऐसा देखा जाता है कि बच्चों को यौन शिक्षा न मिल पाने की वजह से कुछ लोग उन्हें भ्रमित करने का काम करते हैं और उनका फायदा उठा लेते हैं. अगर बच्चों को उम्र के हिसाब से समय पर यौन शिक्षा दी जाती है. तो वे खुद की सुरक्षा आसानी से कर पाएंगे.
सही समय पर युवाओं को यौन शिक्षा देना जरुरी
यौन शिक्षा के जानकारों का कहना है कि बच्चों को समय पर सेक्स से जुड़े जरुरी पहलू समझा देना चाहिए. इससे वे किसी भी प्रकार के बहकावे में नहीं आ सकते हैं. न ही कभी इंटरनेट पर मौजूद अशलील सामग्री उन्हें भ्रमित कर पाएंगी है. उमंग किशोर हेल्पलाइन में हर साल हजारों की संख्या में ऐसे बच्चों की इस मामले में शिकायतें आती हैं. इसकी कोऑर्डिनेटर प्रिया शर्मा कहती हैं कि ऐसे में बच्चों का सही मार्गदर्शन करना उनकी जवाबदारी है.
यौन शिक्षा के नाम पर बच्चें देख रहें पोर्न फिल्म
इधर बाल आयोग का भी मानना है कि सेक्स एजुकेशन को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता आने से घर में ही बच्चों के साथ हो रहे गलत व्यवहार के मामलों में कमी आएंगी.बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान का कहना है कि उनके पास भी कई ऐसे मामले आते हैं. जिसमें घर परिवार का व्यक्ति ही बच्चों के साथ अनैतिक कार्य में शामिल होता है.
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समय समय पर जागरुकता जरुरी
महिला बाल विकास के ज्वाइन डायरेक्टर विशाल नाडकर्णी का कहना है कि सरकार समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाती है. शिक्षा विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से यह अभियान लगातार चलने की कोशिश रहती है. लेकिन कोरोना के चलते अभी सिर्फ ऑनलाइन ही जानकारियां दी जा रही हैं. जब बच्चें इस विषय को लेकर उत्सुकता दिखाने लगे या बार-बार आपसे इसे लेकर सवाल पूछने लगे, तब समझ जाएं कि अब आप अपने बच्चें से इस बारे में जानकारी शेयर कर सकते हैं. आप इसकी शुरुआत शारीरिक अंगों को उनके सही नामों से पुकारकर कर सकते हैं.
गुड टच और बेड टच की दे शिक्षा (good touch bad touch)
बच्चों को यह भी बताना चाहिए कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर माता - पिता और डॉक्टर्स ही उनके निजी अंगों को छू सकते हैं. इसके अलावा किसी अन्य को इसकी इजाजत नहीं है.
प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बताएं
जब भी आप बच्चों को बैड टच के बारे में बताएं तो खुलकर उन्हें प्राइवेट पार्ट्स के बारे में भी बताएं. उन्हें बताएं कि शरीर की कौन-कौन सी जगह पर सिर्फ मां-बाप ही टच कर सकते हैं. अगर कोई दूसरा ये करता है तो यह गलत होता है. इसमें उन्हें ये भी बताएं कि कोई जबरदस्ती आपको किस करता है तो ये भी गलत है.
बैड टच-जब कोई आपको इस तरह से टच करे कि आपको उससे बुरा लगा रहा है या आप असहज महसूस कर रहे हैं तो ये बैड टच हो सकता है. साथ ही अगर कोई अनजान व्यक्ति आपके प्राइवेट पार्ट्स या कई अन्य जगह आपको गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है. वहीं अगर कोई आपके साथ गलत काम करे और बोले कि किसी को बताना मत, तो ये बैड टच होता है.
कपड़ों से छेड़छाड़ करे तो करे शिकायत
बच्चों को बताएं कि अगर घर के अलावा कहीं भी आपके कोई कपड़े से छेड़छाड़ करता है तो यह गलत होता है. घर पर भी कोई सफाई के लिए ही आपके कपड़े खोले तो मना कर दें.बच्चों को बताएं कि अगर कोई बैड टच करता है या कोई गलत हरकत करता है तो तुरंत आप अपने मम्मी-पापा को जरूर बताएं. साथ ही उस वक्त वहां चिल्लाना शुरू कर दें.
सेक्स के बारे में पेरेंट्स अपने बच्चों से खुलकर करें बात
सेक्स के बारे में पेरेंट्स को अपने बच्चों से खुलकर सेक्स रिलेटेड सब्जेक्ट जैसे प्रेग्नेंसी, मास्टरबेशन, एट्रेक्शन और फिजीकल अट्रेक्शन के बारे में बात करनी चाहिए. माता-पिता होने के नाते आपका उनसे बात करना बेहद जरूरी है, ताकी वे गलत रास्ते पर न जा सकें. आजकल के समय में बच्चों को सेक्स को लेकर जागरूक करना बेहद जरूरी है, नहीं तो वे गलत दिशा में भटक सकते हैं. इसलिए बिना किसी हिचकिचाहट से पेरेंट्स को बच्चों से खुलकर इस विषय पर बात करनी चाहिए.पेरेंट्स को इस बात की चिंता छोड़ देनी चाहिए कि बच्चे मासूम हैं और उनका सेक्स से कोई लेना देना नहीं हैं.
सेक्स एजुकेशन के नाम पर बच्चे देख रहे पोर्न फिल्म
आज के समय में मोबाइल एक ऐसा गैजेट बन गया है जिसमें तमाम चीजें शामिल हैं .ऐसे में पोर्न वीडियो और पोर्न साइट भी इन मोबाइल पर मौजूद होती हैं. इसलिए माता-पिता को चाहिए की बच्चों को पोर्न फिल्म देखने से होने वाले मानसिक और शारीरिक नुकसान से जुड़ी जानकारी देना चाहिए. ऐसा देखा गया है कि बच्चे पोर्न वीडियो देखने के बाद उसे प्रेक्टिकल तौर पर करने की कोशिश करते है.