भोपाल। राजधानी में खटलापुरा घाट पर गणेश विसर्जन के दौरान 11 लोगों की डूबने से मौत हो गई. घटना के पीछे नगर निगम और जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. एसडीआरएफ की चेतावनी के बाद भी जिला प्रशासन और नगर निगम ने प्राइवेट नाव से बड़ी मूर्तियों के विसर्जन पर रोक नहीं लगाई थी.
खटलापुरा गणेश विसर्जन घटना के पीछे नगर निगम और जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही एसडीआरएफ मूर्ति विसर्जन के पहले हुई बैठक में प्राइवेट नाव से विसर्जन न करने के लिए कहा गया था. लेकिन एसडीआरएफ के सुझाव को नगर निगम और जिला प्रशासन नजरअंदाज कर दिया. जिसके चलते विसर्जन स्थल पर बड़ी संख्या में प्राइवेट नाव से गणेश विसर्जन किया गया.
एसडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट गोपाल सिंह कहना है कि उन्होंने पिछले दिनों गणेश विसर्जन की तैयारियों को लेकर हुई बैठक के दौरान प्राइवेट नाव की मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा है कि पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी है, इसलिए उन्होंने सुझाव दिया था कि सिर्फ सरकारी नाव और क्रेन की मदद से ही बड़ी मूर्तियों का विसर्जन कराया जाए. क्योंकि प्राइवेट नाव में सुरक्षा के इंतजाम उपलब्ध नहीं होते है.
प्राइवेट नाव पर नहीं थे लाइफ जैकेट के इंतजाम
गणेश विसर्जन के लिए घाटों पर मौजूद प्राइवेट नाव पर लाइफ जैकेट जैसे इंतजाम नहीं थे. लोग बिना लाइफ जैकेट पहने ही विसर्जन के लिए नाव पर सवार होकर तालाब में उतर रहे थे. जिस वक्त घटना हुई उस दौरान भी नाव पर सवार युवकों ने लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी. युवको ने दो नावों को जोड़कर उस पर मूर्ति रखी और तालाब में उतरे. मौके पर मौजूद होमगार्ड जवानों ने क्षमता से ज्यादा लोगों को नाव पर बैठने से मना किया था लेकिन लोगों ने होमगार्ड जवानों नहीं सुनी.