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हमारा काम पढ़ाना है फिर चाहे बच्चा कहीं भी पढ़े- स्कूल शिक्षा मंत्री - शासकीय स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था खराब

सरकार भले ही शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी स्तर पर स्कूलों के हालात आज भी बद से बदतर है. राजधानी में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 15 सालों से बिजली नहीं है.

bad condition of government schools
सरकारी स्कूलों की बदहाल हालत

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Published : Feb 5, 2020, 11:58 AM IST

भोपाल। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी शासकीय स्कूलों की हालत जस की तस बनी हुई है. राजधानी भोपाल में ऐसे कई स्कूल हैं, जिनमें पिछले 15 सालों से बिजली, छत, टाट फट्टी पर बैठकर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. सामुदायिक भवन में स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. एक ही हॉल में 5- 5 कक्षाएं लगाई जा रही हैं. कुछ शासकीय स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है.

स्कूलों की खराब हालत पर स्कूल शिक्षा मंत्री का बयान

इस पर प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी का कहना है कि, सरकार बने केवल 1 साल हुए हैं. सरकार का प्रयास जारी है और हमारा काम पढ़ाना है फिर चाहे बच्चा कहीं भी पढ़े. उनका कहना है कि, हाल ही में स्कूलों की जर्जर बिल्डिंग को देखते हुए सरकार ने 146 करोड़ रुपए का बजट शिक्षा विभाग को दिया है. फिलहाल कार्य प्रगति पर है.

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