सावरकर विवाद पर बोले सेवादल अध्यक्ष, कहा- तत्थों के आधार पर लिखी गई पुस्तक
राजधानी भोपाल में आयोजित कांग्रेस सेवादल के प्रशिक्षण शिविर का कल देर शाम समापन हो गया. इस दौरान सावरकर पर लिखी गई किताब चर्चा में रही. सेवादल के अध्यक्ष लालजी देसाई का कहना है कि, किताब तत्थों के आधार पर लिखी गई है.
भोपाल में किया गया 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
भोपाल। कांग्रेस सेवा दल के 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राजधानी भोपाल में किया गया. इस प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने भाग लिया. इस दौरान सावरकर पर लिखी किताब काफी चर्चा में रही, जिसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर विवाद भी हुआ. इसके बावजूद सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस किताब को गलत नहीं मानते हैं. लालजी देसाई ने कहा कि, सावरकर पर लिखी गई किताब तत्थों पर आधारित है.
उन्होंने दावा किया है कि, पुस्तक में जो कुछ भी लिखा गया है, वो तथ्यों के आधार पर है. जिसे जो समझना है, वह समझ सकता है, उन्होंने कहा कि 'यदि किसी व्यक्ति को गलत तरीके से प्रमोट करने का काम किया जाएगा तो देश की जनता को सत्य जानने का भी हक है'.कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई का कहना है कि 'पिछले कुछ समय में देश की कई स्टेट से बीजेपी लगातार चुनाव हार चुकी है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लगातार कई राज्यों में जीत हासिल कर सरकार बना रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भी उनकी जिस प्रकार की सोच है, वह उन्हें ही मुबारक है'.
'आजादी की लड़ाई में बीजेपी का एक भी चेहर नहीं हैं'
उन्होंने कहा कि जब बीजेपी बार-बार यह कहती है कि, 'कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं है तो फिर कांग्रेस के विषय में बात ही क्यों करती है. आजादी की लड़ाई में बीजेपी का एक भी चेहरा ऐसा नहीं है, जिसे वे सामने ला सकें. बड़ी मुश्किल से उन्होंने एक चेहरे को उभारने की कोशिश की थी, लेकिन उसे लेकर भी सच सामने आया है. देसाई ने कहा कि हम सावरकर को लेकर किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं,
सावरकर को क्यों अंग्रेज 60 रुपए महीना दे रहे थे ?
आगे उन्होंने कहा कि 'हमें इस बात का गर्व है कि राहुल गांधी ने साफ तौर पर कहा है कि, मैं राहुल सावरकर नहीं हूं, मैं राहुल गांधी हूं इसलिए मैं माफी नहीं मांगूंगा. उन्होंने कहा कि वो कितने क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने 9 बार अंग्रेजों से माफी मांगी है. लेकिन कांग्रेस एवं स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले किसी भी व्यक्ति ने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी है. कांग्रेसी या अन्य जो लोग आजादी के लिए लड़ रहे थे, उन्हें पैसे की जरूरत नहीं थी, लेकिन सावरकर ऐसे कौन सी क्रांति कर रहे थे कि उन्हें अंग्रेज सरकार के द्वारा 60 रुपए महीना दिया जा रहा था.