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...तो पाकिस्तान में होता जूनागढ़ - जूनागढ़ की कहानी कैसे मिला भारत में

1947 में जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का मन बना लिया था. लेकिन जनमानस इसके खिलाफ था. सरदार पटेल ने इसके लिए आंदोलन चलाया और जूनागढ़ को भारत में शामिल करवाकर ही दम लिया.

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जूनागढ़ को भारत में मिलाया

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Published : Jan 26, 2021, 11:19 AM IST

आज से 70 साल पहले, जूनागढ़ के नवाब ने जूनागढ़ को पाकिस्तान से जोड़ने का मन बना लिया था. इसके विरोध में, सरदार पटेल ने जूनागढ़ और हैदराबाद की मुक्ति के लिए एक आंदोलन शुरू किया और जूनागढ़ में आरजी सरकार की स्थापना की। 15 अगस्त 1947 को जूनागढ़ में स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया गया. उस समय जूनागढ़ पर नवाब का शासन था और नवाब ने जूनागढ़ को पाकिस्तान में शामिल कराने का फैसला किया। इसे ध्यान में रखते हुए, सरदार पटेल ने जूनागढ़ की मुक्ति के लिए एक आंदोलन शुरू किया. 9 नवंबर को आखिरकार जूनागढ़ को भारत में मिला लिया गया.

जूनागढ़ को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे नवाब

1947 में, जूनागढ़ पर नवाब मोहब्बत खान III का शासन था. जूनागढ़ के लोग असमंजस में थे, कि जूनागढ़ भारत या पाकिस्तान में शामिल होगा. जूनागढ़ के लोग इस बारे में बहुत निराश थे. एक ओर देश आजादी का जश्न मना रहा था. दूसरी ओर, जूनागढ़ का पाकिस्तान के साथ गठबंधन जूनागढ़ के लोगों को हतोत्साहित कर रहा था.

कैसे भारत में मिला जूनागढ़ ?

नवाब को भागना पड़ा पाकिस्तान

सरदार पटेल ने जूनागढ़ की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन शुरू किया. इसकी पहली बैठक पाटन के बहाउद्दीन कॉलेज में हुई थी. जिसमें जूनागढ़ की मुक्ति के लिए शामलदास गांधी के नेतृत्व में एक आरजी सरकार की स्थापना की गई थी. जिसमें जूनागढ़ की मुक्ति की लड़ाई रतुभाई अदानी को शामिल करके शुरू की गई थी.इस आंदोलन ने अंततः नवाब मोहब्बत खान तृतीय को पाकिस्तान भागने के लिए मजबूर कर दिया . आखिरकार 9 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ नवाब के शासन से मुक्त हो गया और स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया।

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