भोपाल।जनजातीय समाज में जागृति के लिए पूरे देश की यात्रा पर निकले सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा है कि हमें इतना कट्टर भी नहीं होना चाहिए कि देश सुलग जाए. ऋतेश्वर महाराज का कहना है कि संविधान के मुताबिक भारत एक हिंदू राष्ट्र है. हिंदुत्व जीवन शैली है. पूजा पद्धति भले अलग हो, लेकिन हम सबका डीएनए एक है. ऋतेश्वर महाराज ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के पंडितों को लेकर दिए गए बयान पर भी कहा है कि गीता के अनुसार पंडित कोई जाति नहीं विज्ञता होती है.
जो ज्ञानी है वही चमत्कारी है:2500 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके ऋतेश्वर महाराज ने नागपुर से बाबाओं के चमत्कार पर भी खुल कर बोला. उन्होंने कहा कि मैं खुद भारत भारतीयता सनातन संस्कृति राष्ट्रवाद के लिए काम करता हूं. खुद को डिप्रेशन में आने से रोकता हूं, क्योंकि डिप्रेशन के ईलाज की कोई दवाई नहीं आई, लेकिन आध्यात्म के द्वारा इसे कंट्रोल किया जा सकता है. महाराज कहते हैं नागपुर से जो सवाल पूछे गए. सवाल पूछे जाने चाहिए. लोकतांत्रिक देश में सबको सवाल पूछने की अनुमति है. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से सवाल पूछ लिए जाते हैं. तो अगर श्याम मानव ने सवाल उठाया उसका स्वागत है, लेकिन दूसरी एक बात ये भी है कि कोई किसी को जबरदस्ती नहीं बुलाता. जनता सुनना चाहती है, लेकिन मेरी ये मान्यता है कि सबसे बड़ा चमत्कार ज्ञान है. जो नॉलेज फुल है वो चमत्कारी है. ऋतेश्वर महाराज जोडते हैं, लेकिन सिद्धियों से भी इंकार नहीं है. बाएं हाथ के बल्लेबाज विनोद कांबली और युवराज को बाएं हाथ का सिद्धहस्त बल्लेबाज कहा जाता था. ये अभ्यास से उन्होंने आहरण किया.
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भेदभाव कुछ नहीं, हरि को भजे सो हरि का होय: ऋतेश्वर महाराज जनजातीय समाज की जागृति के लिए निकले हैं. वे कहते हैं किसी व्यक्ति को समाज में उचित अधिकार नहीं मिलता. वो फिर नियम नीतियों की परवाह नहीं करता. जिस तरह से सती प्रथा खत्म हुई बाल विवाह खत्म हुआ. इसी तरह से जाति का विभेद भी खत्म होगा. वे कहते हैं मेरी मान्यता है कि जाति पाति ना पूछे कोई हरि को भेजे सो हरि को होय. महाराज कहते हैं मेरे आश्रम में मैंने अपने किसी साथी का कभी टाइटल नहीं पूछा. मनुष्यता मेरे लिए सबसे बड़ी है. सबको मनुष्य रुप में देखता हूं.