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Rudraksh Mahotsav रुद्राक्ष वितरण को लेकर पूर्व आइएएस ने कहा- ये तो स्वर्ग के टिकट बेचने जैसा

पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान हो रहे रुद्राक्ष वितरण समारोह में फैली अव्यवस्था और लोगों की मौत को लेकर लोगों की कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. पूर्व आइएएस मनोज श्रीवास्तव ने कठोर टिप्पणी करते हुए लिखा कि ये स्वर्ग की टिकट बेचने के समान है.

Rudraksh Mahotsav
मुफ्त रुद्राक्ष बांटे जाने के पूरे एपीसोड पर तल्ख टिप्पणी

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Published : Feb 17, 2023, 3:54 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश के पूर्व आइएएस मनोज श्रीवास्तव ने पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबरेश्वर धाम में मुफ्त रुद्राक्ष बांटे जाने के पूरे एपीसोड पर तल्ख टिप्पणी की है. मनोज श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी टिप्पणी के जरिए प्रदीप मिश्रा के इस पूरे आयोजन को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने लिखा है कि रुद्राक्ष मुफ्त में बांटा जाए या पैसे लेकर दोनों ही स्थिति में ये धर्माजन नहीं है. इस पोस्ट को लेकर राजधानी भोपाल में काफी चर्चा है. रुद्राक्ष महोत्सव में जिस प्रकार अव्यवस्था फैली, उससे अन्य लोग भी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं.

ये किसी लिहाज से ठीक नहीं :पूर्व आईएएस ने सोशल मीडिया पर लिखी अपनी पोस्ट में कहा कि पंडित प्रदीप मिश्रा के रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन कर रुद्राक्ष मुफ्त ना बांटकर यदि यह पैसे लेकर भी किया जाता तो भी स्वर्ग के टिकट बेचने जैसा ही होता. उन्होंने लिखा है कि मुफ्त हो या विक्रय दोनों ही हालत में ये ठीक नहीं है. वे आगे लिखते हैं जो लोग रुद्र के प्रकट होने पर भाग खड़े हों, वे रुद्राक्ष के लिए बड़े पगलाये दिखते हैं. रुद्र को देखने की आंख ही रुद्राक्ष है-रुद्र+अक्ष. श्रीवास्तव ने चर्च के प्रीस्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि उस समय चर्च के प्रीस्ट स्वर्ग के टिकट भी बेचा करते थे.

पंडित प्रदीप मिश्रा के रुद्राक्ष वितरण को लेकर पूर्व आइएएस ने कहा- ये तो स्वर्ग के टिकट बेचने जैसा

गीता का उल्लेख किया :उन्होंने कहा कि यहां रुद्राक्ष का वितरण मुफ़्त है. मुफ़्तख़ोरी सिखाने वाले घोषणापत्र और योजनाएं यदि गर्हित हैं तो ये मुफ़्त वितरण कैसे नहीं है? कुबेरेश्वर कुबेर मुफ़्त में नहीं बनाते. स्वयं कुबेर ने तपस्या की और शिव तो महातपस्वी हैं ही. स्वयं के तप के बिना उद्धार नहीं है. मनोज श्रीवास्तव ने गीता का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कभी आपने गीता में कृष्ण की आवाज़ को ध्यान से सुना हो तो वे ‘यदा यदा हि धर्मस्यग्लानिर्भवति’ की बात करते हैं, धर्म की ग्लानि की, ग्लानि अपनी गिरेबान में झांकने पर होती है.

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