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ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन में आई गिरावट, आरटीओ को हो रहा भारी नुकसान

कोरोना काल में आरटीओ को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. शासन की गाइडलाइन के मुताबिक आरटीओ में नए लाइसेंस बनाने की संख्या सीमित कर दी गई है. वहीं संक्रमण के खतरे के चलते ग्राहक भी आरटीओ जाने से बच रहे हैं. जिसकी वजह से रिवेन्यू में भारी कमी आई है.

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आरटीओ भोपाल

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Published : Jul 22, 2020, 6:29 PM IST

भोपाल। कोरोना काल में परिवहन विभाग एक तरफ जहां बसों के न चलने से पहले ही लाखों का नुकसान उठा रहा है, वहीं लाइसेंस के आवेदन न आने की वजह से भी आरटीओ को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. भोपाल आरटीओ में लॉकडाउन के पहले रोज 400 से 500 लाइसेंस के लिए आवेदन आया करते थे, अब 100 आवेदन मिलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में आरटीओ ऑफिस के बाहर जो एजेंट बैठा करते थे, उनकी भी हालत खराब है. एजेंट्स को भी प्रतिदिन 15 से 20 ग्राहक मिल जाया करते थे. जिससे उनका घर चलता था. लेकिन अब सब ठप पड़ा हुआ है. आरटीओ को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन में गिरावट

कोरोना काल में बस, ऑटो, टैक्सी सभी को नुकसान का सौदा करना पड़ रहा है, क्योंकि ग्राहक अपने निजी वाहनों का उपयोग ही ज्यादा कर रहे हैं. इसके अलावा आवागमन पर भी कुछ पाबंदियां हैं. इसका सीधा असर आरटीओ के रिवेन्यू पर पड़ा है. आरटीओ में लाइसेंस, वाहन फिटनेस जैसे कामों से अच्छा रेवेन्यू जनरेट होता था. लेकिन अब इसमें भारी गिरावट आई है. जिससे आरटीओ को ही नही बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है.

आरटीओ अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि कोरोना के चलते आरटीओ में सरकार की गाइडलाइन का ख्याल रखा जा रहा है. इसको देखते हुए लाइसेंस की संख्या सीमित कर दी गई है. ग्राहकों को आरटीओ के बाहर से लौटना पड़ रहा है, क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के चलते 50 फीसदी कर्मचारियों से काम चल रहा है. ऐसे में लाइसेंस और अन्य काम फिलहाल ठप पड़े हुए हैं. लाइसेंस के लिए आवेदन आ भी रहे हैं, तो शासन की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए उन्हें वापस किया जा रहा है. ऐसे में जितना नुकसान आरटीओ को हो रहा है उतना ही उन ग्राहकों को भी है जो निजी गाड़ियों को किराये पर चलाते हैं, लेकिन शासन की गाइडलाइन के चलते उनके जरूरी डाक्यूमेंट्स आरटीओ से नहीं बन पा रहे हैं.

लॉकडाउन के 3 महीनों में तो काम पूरी तरह से बंद था. अब अनलॉक 1.0 में कुछ प्रक्रिया शुरू हुई भी हैं तो उसमें पहले की तरह काम नहीं हो रहा है. पुराने काम लंबित पड़े हैं. बसों के नहीं चलने से परिवहन विभाग पहले ही घाटे में है. अब लाइसेंस बनाने की संख्या में भी कटौती कर दी गई है. जिससे ये नुकसान और बढ़ गया है.

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