भोपाल।माना जा रहा है कि खासतौर पर संघ का ये अभियान उन राज्यों में होगा, जहां विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं. संभव है कि आने वाले समय में राजस्थान छत्तीसगढ समेत मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दरगाह पर दीपक का प्रयोग करेगा. लेकिन सवाल ये कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य में जहां 2018 के विधानसभा चुनाव तक मुस्लिम वर्ग की नुमाइंदगी भी गिनती की रही हो, वहां कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक कहे जाने वाले वर्ग में सेंध लगा पाना क्या संघ के लिए आसान होगा.
MP समेत चुनाव की दहलीज़ पर खड़े राज्यों में RSS की पहल संघ का सद्भाव दरगाह पर दीये :ये इत्तेफाक नहीं है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के पहली बार मदरसे तक पहुंचने के ठीक एक महीने बाद आरएसएस की ही शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक इन्द्रेश कुमार दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर पहुंचे. हालांकि ये उनका तीसरा साल है, जब वे दरगाह पर दिये रोशन करने पहुंचे. हजरत निजामुद्दीन के 719 वें उर्स के मौके पर 719 चिराग ही रोशन किए गए. इसके साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की ओर से देश की तकरीबन 75 दरगाहें ऐसी थीं, जोकि दीपावली के मौके पर दिये लगाकर रोशन की गईं.
मुस्लिमों में गहरी पैठ बनाने की कोशिश :मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुस्लिमों के इबादतगाह के जरिए इस पूरे वर्ग तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में है. राजधानी दिल्ली से शुरू हुआ ये सिलसिला बाकी राज्यों तक भी पहुंचेगा. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद कहते हैं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का ये प्रयास है कि कैसे हिंदू -मुस्लिम के सद्भाव को और मज़बूत किया जा सके. हिंदुओं का त्योहार दीपावली और उस पर्व पर जब दरगाहें भी रोशन होंगी तो अमन की नई तस्वीर बनेगी. संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर राम लाल, सभी ने इसी कड़ी में पहल की है. और ये अब बाकी के राज्यों तक भी पहुंचाई जाएगी. शाहिद सईद ने बताया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच देश में भाईचारे को बढ़ाने वाले ऐसे आयोजन अब देश के अन्य राज्यों में भी तेज़ी से करेगा.
हजरत निजामुद्दीन दरगाह पर दीप जलाकर दिया शांति-सद्भाव का संदेश
मुस्लिम वोटर पर दांव लेकिन उम्मीदवारी नहीं :अब आरएसएस ने मुस्लिमों के मद्देनज़र भाईचारे का संदेश देते हुए इस वर्ग के इबादतगाहों तक पहुंचना शुरू किया है. जिस ढंग से इस वर्ग को तरजीह दी गई है तो मुमकिन है कि मध्यप्रदेश में चुनाव तक इस वर्ग की नुमाइंदगी को लेकर तस्वीर बदले. वरना 2018 के विधानसभा चुनाव बानगी कहे जा सकते हैं. जब करीब 40 लाख मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद बीजेपी की ओर से केवल एक और कांग्रेस की तरफ से केवल तीन मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए थे . यही वजह रही कि वोटर की तादात के हिसाब से इस वर्ग को विधानसभा में प्रतिनिधियों की संख्या में इजाफा नही हो पाया. राजधानी भोपाल की उत्तर और मध्य विधानसभा सीट के अलावा प्रदेश की 230 सीटों में भोपाल मध्य नरेला और उत्तर समेत दो दर्जन से ज्यादा ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में दिखाई देता है. (RSS eye on Muslim vote bank) (Lok Sabha elections 2024) (Assembly elections muslim vote) (RSS lit deep at Dargah) ( MP missionn 2023 muslim vote)