भोपाल।कोरोना महामारी की रोकथनाम के लिए मार्च के महीने में देश में लॉकडाउन किया गया था. इस लॉकडाउन के कारण सब कुछ थम गया था. जो जहां था, वहीं रुक गया. सभी व्यापारों पर भी लॉकडाउन का गहरा प्रभाव पड़ा. इस दौरान करीब 6 महीने तक बसें भी खड़ी रहीं. सभी व्यवसायों को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अनलॉक किया गया, लेकिन इस दौरान भी बस ऑपरेटरों की हालत में सुधार नहीं हुआ.
फ्यूल के बढ़ते दाम ऑपरेटरों के लिए सिर दर्द
मध्य प्रदेश में 35 हजार बसों का संचालन होता है. ये सभी बसें प्राइवेट बस ऑपरेटर चलाते हैं. जबकि राजधानी भोपाल में करीब 700 बसें चलती हैं. इन सभी बसों का संचालन भी निजी बस ऑपरेटर ही करते हैं. राजधानी में कुल 12 हजार बस संचालक हैं, जिसमें से सिर्फ 60 फीसदी संचालक ही बसों का संचालन कर रहे हैं. शहर में अब भी 10 फीसदी बसों पर टेक्स माफी के बाद भी ब्रेक लगे हुए हैं. बस संचालकों की मांग है कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें. और अगर कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक बसें चलानी है, तो बसों का किराया बढ़ाया. क्योंकि बसों के संचालन में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे बस संचालकों को उठाना पड़ रहा है.
बसों पर ब्रेक परिवहन को नुकसान
RTO अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि सरकार का बसों की टेक्स माफी का निर्णय सराहनीय था. इससे कई बस ऑपरेटरों को आर्थिक सहयोग मिला है. उन्होंने कहा कि अब करीब सभी बसें चल रही है. जो ऑपरेटर बस नहीं चला रहे हैं, उनकी निजी समास्याए हैं. जिसको लेकर हम विभाग को अवगत करा चुके है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि बसों का संचालन नहीं होने से परिवहन को नुकसान है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने चाहिए, जिससे बस संचालक बिना किसी नुकसान के सौदे के साथ बस चला सकें.
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