भोपाल। आगामी नगरीय निकाय चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी हो गई है. भोपाल और खंडवा में अगला महापौर ओबीसी महिला वर्ग से होगा. इसके अलावा ग्वालियर, बुरहानपुर, सागर, कटनी और देवास में सामान्य वर्ग की महिला महापौर बनेगी. जबलपुर, सिंगरौली, रीवा और इंदौर में सभी वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ सकेंगे. इन चारों नगर निगम को अनारक्षित घोषित किया गया है.
भोपाल के रविंद्र भवन में नगरी प्रशासन एवं विकास आयुक्त की मौजूदगी में नगरीय निकायों की आरक्षण की प्रक्रिया हुई. इस दौरान कई राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी मौजूद रहे. आरक्षण प्रक्रिया के दौरान 16 नगर निगमों के महापौर के अलावा 99 नगर पालिका की आरक्षण प्रक्रिया की गई. नगर निगम में महापौर के लिए अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण आबादी के अनुसार किया गया है. जबकि ओबीसी आरक्षण 25 फ़ीसदी के मान से किया गया.
16 नगर निगम इस तरह हुआ आरक्षण
- मुरैना नगर निगम अनुसूचित जाति महिला वर्ग के लिए आरक्षित
- उज्जैन अनुसूचित जाति के आरक्षित की गई
- छिंदवाड़ा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई
- भोपाल ओबीसी महिला के लिए आरक्षित की गई
- खंडवा ओबीसी महिला के लिए आरक्षित की गई
- सतना ओबीसी मुफ्त आरक्षित की गई
- रतलाम ओबीसी मुक्त आरक्षित की गई
- सागर महिला सामान्य आरक्षित की गई
- बुरहानपुर महिला सामान आरक्षित की गई
- ग्वालियर सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की गई
- देवास सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की गई
- कटनी सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की गई
- जबलपुर, सिंगरौली, रीवा और इंदौर अनारक्षित आरक्षित की गई है.
- आरक्षण प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने उठाया आपत्ति
नगरीय निकायों की आरक्षण प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि नगर निगम के आरक्षण में अधिकारियों द्वारा आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है. पूर्व में जो नगरी निकाय आरक्षित हो चुके हैं, उन्हें फिर से उसी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. भोपाल नगर निगम 1999 में ओबीसी महिला आरक्षित हो चुका है, लेकिन एक बार फिर इसे ओबीसी महिला कर दिया गया है. इसी तरह छिंदवाड़ा को एसटी में आरक्षित कर दिया गया है, जबकि 2011 की जनगणना के आधार पर देखा जाए तो यह सामान्य होना चाहिए थी. उन्होंने कहा कि इस तरह तो सामान्य वर्ग के लोगों को मौका ही नहीं मिलेगा.