भोपाल।कोरोना वायरस को दुनिया में फैले हुए अब करीब 8 महीने से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन अब भी इस वायरस का कोई पुख्ता इलाज नहीं आ पाया है. वैज्ञानिक और विशेषज्ञ, डॉक्टर लगातार इस पर रिसर्च कर रहे हैं और जो भी एंटीबायोटिक दवाएं इस वायरस को खत्म करने में मददगार साबित हो सकती हैं. उससे संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है. भारत में भी शुरुआती दौर में आईसीएमआर ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए कुछ दवाओं को मंजूरी दी थी, जिन्हें बाद में कारगर ना होने पर उन पर रोक लगा दी गई. हाल फिलहाल में भी आईसीएमआर ने कोरोना संक्रमण के इलाज में मरीजों को दी जा रही रेमडेसिवीर इंजेक्शन को लेकर भी एहतियात बरतने की अपील की है. क्योंकि ये सामने आया है कि इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से मरीजों को कोई खास फायदा नहीं हुआ है. इसके अलावा इसके उपयोग से साइड इफेक्ट का खतरा भी बना रहता है. लेकिन ये लोगों के बीच धारणा बन चुकी है कि इस इंजेक्शन से कोरोना ठीक रहा है, जिससे बाजार में रेमडेसिवीर की मांग तेजी से बढ़ी है, जिसकी वजह से इसकी ब्लैक मार्केटिंग भी शुरू हो गई. हालात ये हैं कि इस एक इंजेक्शन की कीमत 3 हजार से लेकर 15 हजार तक पहुंच गई है. इलाज के दौरान संक्रमित मरीज को ऐसे 6 इंजेक्शन दिए जाते हैं.
क्या है इंजेक्शन का महत्व
इंजेक्शन के बारे में श्वास रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा ने बताया कि रेमेडीसीवीर एक एंटीवायरल दवाई है. इसका मतलब यह है कि यह वायरस को मारती है. इसके अलावा इसका कोई और काम नहीं है. किसी कोरोना संक्रमित मरीज को जब यह एक्यूट स्टेज पर दी जा रही थी तो यह फायदेमंद साबित हो रही थी लेकिन मरीज को इसके साथ ही अन्य सपोर्टिग दवाइयां भी दी जा रही थी इसलिए कहना मुश्किल है कि केवल रेमडेसिवीर इंजेक्शन से ही मरीज ठीक हो रहा है.
लोगों ने किया बेवजह इस्तेमाल
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में काफी डर बना हुआ है. यदि किसी के घर में कोई संक्रमित पाया जा रहा है तो इलाज के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं ताकि संक्रमण ज्यादा ना फैले. रेमेडीसीवीर इंजेक्शन को लेकर भी यही आलम लोगों में नजर आया. जब इसका इस्तेमाल संक्रमितों के ऊपर किया जा रहा था तब लोग इसे बेवजह ही लगवा रहे थे. इस बारे में डॉक्टर पराग ने बताया कि कई लोग इसका अनावश्यक उपयोग कर रहे थे. इसकी ब्लैक मार्केटिंग भी की जा रही थी. कई संक्रमितों ने जिन्हें इसकी जरूरत नहीं थी उन्होंने भी कोरोना वायरस के डर के चलते इसे लगवाया.
ब्लैक मार्केटिंग और दवा बाजार की स्थिति