भोपाल। राजधानी में कोरोना मरीजों के परिजन रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहे है. ऐसी स्थिति में प्रशासन ने निर्णय लिया है कि प्राइवेट कोविड अस्पतालों को इंजेक्शन सीधे स्टॉकिस्ट से मिल सकेंगे. हालांकि इसकी निगरानी सभी ड्रग इंस्पेक्टर करेंगे. वहीं सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन के स्टॉक का 50 प्रतिशत दिया जाएगा. कलेक्टर अविनाश लवानिया ने लोगों से अपील की है कि वह रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए न तो कलेक्ट्रेट में आए और न ही बाजार में भटके.
जिला प्रशासन ने निर्णय लिया था कि रेमडेसिविर इंजेक्शन किसी भी दुकान के काउंटर से नहीं बिकेगा, लेकिन फिर भी मरीजों के परिजन और निजी चिकित्सालय के स्टाफ इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहे थे, क्योंकि सरकार ने तय किया था कि रेमडेसिविर इंजेक्शन कलेक्टर की निगरानी में कोविड अस्पतालों को दिया जाएगा. इसके चलते दो दिन पूर्व भोपाल कलेक्ट्रेट परिसर में हुए हंगामे और निजी अस्पतालों को इंजेक्शन नहीं मिलने की शिकायतों को देखते हुए प्रशासन ने एक बार फिर व्यवस्था में बदलाव किया है. अब निजी अस्पतालों और छोटे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए इंजेक्शन सीधे अस्पताल ले सकते हैं. किसी भी मरीज के परिजनों को इंजेक्शन लेने के लिए मेडिकल स्टोर तक नहीं जाना पड़ेगा.