भोपाल। रविवार भगवान भास्कर (Surya Devta) को समर्पित माना जाता है. कहा जाता है कि जिस पर सूर्य कृपा (Surya Kripa) हो उसकी जीवन नैया आसानी से पार लग जाती है. हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव (Sun) जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता हैं. सूर्य की वजह से धरती पर जीवन है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर सूर्य देवता की अराधना सुबह-सुबह की जाए तो उसका फल बेहद कल्याणकारी होता है. ऐसा कहा जाता है कि उपासना का फल जल्दी मिलता है. सूर्य देव (Surya Dev) की अराधना (Sunday Worship) सिर्फ साधु-संतों ने नहीं बल्कि प्रभु श्री राम (Sri Ram) ने भी की थी. तो कहने का तात्पर्य ये है कि सूरज की भक्ति जीवन को प्रकाशवान बना देती है न सिर्फ भौतिक सुख समृद्धि में इजाफा होता है बल्कि आध्यात्मिक (Spiritual) तौर पर भी व्यक्ति संतुष्टि (satisfaction) का अनुभव करता है.
पूरे विधि-विधान से सूर्यदेव (Surya Dev) की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सफलता और मानसिक शांति प्राप्त होती है. सूर्यदेव की उपासना करके यश में वृद्धि होती और रोगों से भी मुक्ति मिलती है. अपनी इच्छा पूर्ति के लिए पूजा के साथ इनका उपवास (fasting) व मंत्रों (mantras) (Surya Mantra) का जाप बहुत लाभकारी होता है.
रविवार को अगर इन मंत्रों (Chant Surya Mantra) का जाप किया तो लाभ तुरंत मिल सकता है. आज पढ़ें सूर्य देव के ये मंत्र (Sunday Surya Mantra)
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः (Om Hraam Hreem Hraum Sah Suryay Namah)
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
- ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
इनको सच्चे मन से सुबह के समय अर्घ्य देने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. ये ही एकमात्र ऐसे देव हैं, जिनके हमें साक्षात दर्शन होते हैं.
जानते हैं पूजन विधि और अर्घ्य का तरीका (Ravivar Pujan Vidhi)
हमारे ग्रंथों में हरेक दिन किसी देवता को समर्पित है. रविवार (Sunday ) भगवान भास्कर (Surya Dev). वहीं हर देव को पूजने का एक धर्म संमत विधि होती है. कहते हैं रविवार को सूर्यदेव का पूजन (Sun Worship) करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें. जो इस प्रकार हैं- (Dos And Dont On Sunday)
- सूर्य के उदय होने से पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अर्घ्य देते समय सूर्यदेव की ओर न देखकर जल प्रवाह में सूर्य की किरणों की ओर देखें.
- चावल, गुड़, गंगाजल और कुमकुम के साथ तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करें.
- अर्घ्य देते समय मंत्रों का सात बार जाप करें.
- अर्घ्य देने के पश्चात सूर्यदेव से अपनी गलतियों की क्षमा मांगनी चाहिए.
- संध्या समय भी एक बार अर्घ्य दें.
- अब सूर्यदेव के मंत्रों का उच्चारण करें.
- नियमित रूप से आदित्य हृदय का पाठ करें.
- सूर्यदेव से स्वस्थ तन, मन व यश प्राप्ति की कामना करें.
- जो लोग सूर्यदेव का उपवास करते हैं, वे इस दिन नमक व तेल से बने खाद्य पदार्थ खाने से बचें.
- उपवास के दौरान दिन में एक बार फलाहार करें.
- अब सूर्यदेव की आरती करें.
सूर्यदेव की आरती (Surya Dev Aarti)
सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह आरती (Surya Dev Aarti) गाएं.
कहुँ लगि आरती दास करेंगे, सकल जगत जाकि जोति विराजे ..
सात समुद्र जाके चरण बसे, कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम .
कोटि भानु जाके नख की शोभा, कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम .
भार उठारह रोमावलि जाके, कहा भयो शिर पुष्प धरे हो राम .