भोपाल। राजधानी भोपाल में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण (Corona infection) के चलते अब अस्पतालों की संख्या भी कम पड़ने लगी है और यही कारण है कि अब रेडक्रॉस अस्पताल को भी सरकार, डेडीकेटेड कोविड अस्पताल (Dedicated Covid Hospital) बनाने जा रही है.
मंत्री विश्वास सारंग ने किया निरीक्षण रेड क्रॉस बनेगा कोविड अस्पताल
भोपाल के सभी अस्पताल लगभग भरे हुए हैं. ऐसे में मरीजों को बिस्तर नहीं मिल रहे और यही कारण है कि अब रेडक्रॉस अस्पताल (Red Cross Hospital) को भी सरकार डेडीकेटेड को कोविड अस्पताल (covid Hospital) बना रही है. इसके लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang), हेल्थ विभाग के एसीएस मोहम्मद सुलेमान, भोपाल कलेक्टर अवनीश लवानिया ने रेडक्रॉस अस्पताल का निरीक्षण किया. मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार रेडक्रॉस में 55 बिस्तर की क्षमता है साथ ही रेड क्रॉस अस्पताल के प्रसूति वार्ड को जेपी अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा. रेड क्रास अस्पताल भी सरकार का डेडीकेटेड को वेट हॉस्पिटल होगा, जहां पर कोरोना मरीज अपना इलाज करा सकेंगे.
बैठक में लगी थी कॉविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल बनाने की मांग
भोपाल में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के कारण बढ़ रहे मरीजों की संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है. इसे देखते हुए पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया कि एम्स भोपाल को कॉविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल बनाया जाए. केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग से चर्चा करने के बाद इस बात पर सहमति बनी भोपाल एम्स सोमवार तक अन्य मरीजो से खाली करवा कर कोविड डेडीकेटेड हॉस्पिटल बना दिया जाएगा.
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गैर कोरोना मरीजों की बढ़ी दिक्कतें
भोपाल कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए भोपाल में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 19 अप्रैल से साधारण मरीजों को ओपीडी में इलाज नहीं करने का निर्णय लिया है. इस दौरान अगले सोमवार तक ओपीडी में सिर्फ इमरजेंसी के मरीजों का इलाज किया जाएगा. इससे गैर कोरोना मरीजों की दिक्कतें बढ़ना निश्चित है. एम्स भोपाल में हर दिन करीब 3000 मरीज ओपीडी में आते हैं, इनमें भोपाल के अलावा आसपास के और दूर के जिलों के मरीज भी बड़ी संख्या में आते हैं. सुपर स्पेश्यलिटी इलाज के चलते यहां मरीजों की ज्यादा भीड़ आती है.
साधारण इलाज बंद हो सकता है बंद
एम्स में ओपीडी की वजह से कोरोना का संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है. इसके अलावा कोरोना मरीजों के लिए एम्स में बिस्तर बढ़ाए जाने है. इसके लिए अतिरिक्त चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत पड़ेगी. इस कारण ओपीडी बंद की जा रही है, हालांकि मरीजों के लिए राहत की बात यह है कि अभी हमीदिया अस्पताल और जेपी अस्पताल में ओपीडी में साधारण मरीजों को भी इलाज मिल रहा है. कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी तो यहां भी साधारण इलाज बंद हो सकता है. हमीदिया अस्पताल में रूटीन के ऑपरेशन पहले ही बंद किए जा चुके हैं.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग अस्पताल में बेड की किल्लत
पिछले साल भी कोरोना का संकट शुरू होने के दो महीने बाद प्रबंधन ने नियमित ओपीडी और टाले जा सकने वाले ऑपरेशन बंद कर दिए थे. इसके बाद कोरोना मरीजों की की संख्या कम हुई तो धीरे-धीरे साधारण ओपीडी और ऑपरेशन शुरू हुए. राजधानी में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढती जा रही है. अस्पतालों में भर्ती करने के लिए बेड नहीं मिल पा रहे हैं, ऐसे में कोरोना मरीजों के उचित इलाज के लिए यह निर्णय लिया गया है.