भोपाल।मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग स्वराज संस्थान संचालनालय ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित नाट्य समारोह के तहत शहीद भवन भोपाल में नाटक रानी वेलु नचियार का मंचन हुआ. वीरांगना वेलु नचियार का जन्म 3 जनवरी 1730 को हुआ था.आजादी के लिए कंपनी सरकार से लोहा लेने वाली शिवगंगा की वीरांगना वेलु नचियार की कहानी रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, झलकारी बाई से कम रोचक नहीं है.
रानी वेल वेलुनचियार नाटक का मंचन राजा मुथु बटुकनाथ तथेवर
वेलु नचियार की कहानी बहुत कम प्रकाश में आई है. मद्रास राज्य राजधानी शिवगंगा को हथियाने के लिए अंग्रेजों ने खूब मारकाट की. राजपूत राजा मुथु बटुकनाथ तथेवर ने अंग्रेजों को चुनौती दी और उनकी नींद हराम कर दी, लेकिन कूटनीति के कुशल खिलाड़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर ने क्षेत्र के कुख्यात दस्यु देशद्रोहियों को अपने साथ मिलाकर शिवगंगा पर आक्रमण किया.
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रानी ने टीपू सुल्तान से मांगी शरण
युद्ध में राजा मुथु थेवर वीरगति को प्राप्त हुए. पति राजा मुथु बटुकनाथ थेवर का शीश साथ में लेकर वह चंडी के रूप में फिरंगीयों पर टूट पड़ी. युद्ध में रानी वेलु नचियार का ऐसा रूप देखकर उनके हारते सैनिकों में नया जोश भर गया. लेकिन अपने सैनिकों की संख्या कम होने के कारण हार का अनुमान लगा. वह अपने सैनिकों सहित डिंडीगल के रास्ते अंग्रेजों के जातीय शत्रु शेर-ए-मैसूर टीपू सुल्तान के शरण में पहुंची. टीपू सुल्तान ने वचन दिया कि फिरंगीओ से लोहा लेने में वह शिवगंगा का साथ देंगे. दो साल बाद टीपू सुल्तान ने प्रशिक्षित सैनिकों को साथ लेकर वेलु नचियार ने अंग्रेजों पर आक्रमण किया. उस और शिवगंगा को अंग्रेजों से मुक्त कराया, वेलु नचियार ने पति की समाधि पर बैठे-बैठे 1790 में प्राण त्याग दिया.