भोपाल। नवरात्रि पर इस बार भी कोरोना का असर है. इसके चलते मंदिरों में श्रद्धालु माता रानी के दर्शन नहीं कर पाएंगे. चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को रामनवमी भी कहा जाता है. बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस को दुनिया भर के राम भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस दौरान कन्या भोज के बड़े आयोजन जगह-जगह होते हैं, लेकिन इस बार कोरोना कर्फ्यू के चलते कन्या भोज नहीं हो पाएंगे.
नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि पर्व पर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. यह पर्व चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा से शुरु होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है, हालांकि कई लोग चैत्र नवरात्रि की समाप्ति चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को करते हैं. नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि की समाप्ति पर अगले दिन यानि दशमी तिथि को देवी दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करके, उनका विधि-विधान अनुसार विसर्जन कर व्रत खोला जाता है. इस साल नवमी तिथि 21 अप्रैल बुधवार के दिन पड़ रही है.
रामनवमी को हुआ भगवान राम का जन्म
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि रामनवमी के रूप में भी मनाई जाती है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार यही वो तिथि है जब भगवान विष्णु ने भगवान राम के रूप में जन्म लिया था. यही मुख्य कारण है कि चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को राम नवमी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु राजोरिया का कहना है कि बुराई पर अच्छाई के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मदिवस रामनवमी के दिन ही मनाया जाता है.
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