भोपाल।राहुल गाधी की भारत जोड़ो यात्रा ने एमपी में उसी निमाड़ के रास्ते एंट्री की है, जहां किसान कर्ज माफी का मुद्दा उछालकर कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की थी. एमपी में यात्रा को मिले शुरुआती रिस्पांस से कांग्रेसियों का आत्मविश्वास तो यकीनन बढ़ा है. लेकिन क्या ये यात्रा पार्टी के विधायकों का वो खोया विश्वास लौटा पाएगी. जिस खंडित विश्वास की बदौलत पार्टी के विधायक बीजेपी के पाले में छलांग लगाते रहे हैं. क्या सचिन बिरला की कांग्रेस में वापसी की अटकलों का अचानक ज़ोर पकड़ना कोई तय रणनीति है. क्या वजह है कि जब सचिन के मामले में दोनों ही तरफ सन्नाटा है, तब इसे भूल सुधार की तरह क्यों पेश किया जा रहा है कि जबकि घर वापसी अभी हुई नहीं.
क्या टूटे कांग्रेसियों को जोड़ पाएगी भारत जोड़ो यात्रा :एमपी में एंट्री के साथ जो सबसे बड़ा सवाल है, वो ये कि जनता तो दूर पहले पार्टी के सामने चुनौती अपने से रूठे -टूटे कांग्रेसियो को जोड़ने की है. राहुल गांधी की इस यात्रा का एमपी में हिडन एजेंडा ये भी है कि जो अपनी निजी वजहों से भी पार्टी से टूटकर अलग हो गए हैं, उन्हें फिर से जोड़ा जाए. राजनीतिक के जानकार ये कह रहे हैं कि सचिन बिरला को इस मुहिम में आइकन की तरह पेश करने की तैयारी में है पार्टी. हालांकि अभी सचिन बिरला की स्थिति स्पष्ट नहीं है. खऱगोन की बड़वाह विधानसभा सीट से विधायक सचिन बिरला ने एक सभा में बीजेपी का दामन थाम लिया. लेकिन उनकी सदस्यता अटक गई. अब ये ही तय नहीं कि वे बीजेपी में हैं या कांग्रेस में. कांग्रेस ने सदन में उनकी सदस्यता खत्म करवाने के कई प्रयास किए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. खैर, अब चर्चा ये है कि सचिन बिरला बीजेपी में भी तवज्जो ना मिल पाने से रूठे हैं और घर वापसी का मूड बना रहे हैं. कांग्रेस ये मान रही है कि चुनाव के पहले टिकट कटने के डर में जब बीजेपी विधायकों की नींद उड़ी है तो कांग्रेस छोड़कर गए विधायक तो यूं भी तलवार की धार पर हैं. लिहाजा उनकी बेचैनी भी बढ़ी हुई है.