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Janmashtami 2021: इस मंदिर में 100 करोड़ के आभूषणों से होता है राधा-कृष्ण का श्रृंगार - etv bharat madhya pradesh

ग्वालियर में 100 साल पुराने एक राधा कृष्ण के मंदिर में जनमाष्टमी के मौके पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के आभूषणों से भगवान श्रीकृष्ण और राधा का श्रृंगार किया जाता है.

इस मंदिर में 100 करोड़ के आभूषणों से होता है राधा-कृष्ण का श्रृंगार
इस मंदिर में 100 करोड़ के आभूषणों से होता है राधा-कृष्ण का श्रृंगार

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Published : Aug 29, 2021, 4:12 PM IST

Updated : Aug 29, 2021, 6:47 PM IST

ग्वालियर। सोमवार को पूरे देश भर में भगवान श्रीकृष्णजी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. जनमाष्टमी के मौके पर राधा कृष्ण के मंदिरों में भी विशेष श्रृंगार किया जाता है. ग्वालियर में भी 100 वर्ष पुराने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बेहद खास होता है. रियासत कालीन मंदिर में राधाकृष्ण प्रतिमाओं को 100 करोड़ रुपए के हीरे-जवाहरात से सजाया जाता है.

इस मंदिर में 100 करोड़ के आभूषणों से होता है राधा-कृष्ण का श्रृंगार

100 करोड़ के आभूषणों से होता है श्रृंगार

ग्वालियर के फूलबाग में स्थित सिंधिया कालीन 100 साल पुराने मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी पर खास जेवरातों से सजाया जायेगा. प्रतिमाओं को रत्न जड़ित आभूषणों से सुसज्जित किया जाएगा, जिनकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. मंदिर में भगवान के मुकुट और आभूषण हीरा, मोती और पन्ना जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित है.

2007 के बाद फिर से शुरू की गई परंपरा

देश की स्वतंत्रता के पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रृंगारित रहते थे, लेकिन देश आजाद होने के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में कैद पड़े थे. 2007 में जब मंदिर नगर निगम की देखरेख में आया, तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को बेशकीमती जेवरात पहनाए जाते हैं. जन्माष्टमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन जेवरातों को बैंक के लॉकर निकलकर राधा और कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है.

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1921 में हुआ था मंदिर का निर्माण

फूल बाग स्थित गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने की थी. उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे. इनमें राधा कृष्ण के 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन है.

रत्न जड़ित जेवरातों से होगा श्रृंगार

जन्माष्टमी पर इन रत्नों जड़ित जेवरातों से राधा कृष्ण को श्रृंगारित किया जाता है. 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रृंगारित रहेंगें. भगवान के इस स्वरुप को देखने के लिए भक्तों को सालभर इंतजार रहता है. इस वजह से जन्माष्टमी के दिन मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. देश ही नहीं विदेशी भक्त भी भगवान के इस स्वरूप को देखने के लिए ग्वालियर आते हैं.

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मंदिर में होंगे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

मंदिर के बेशकीमती गहनों की सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल भी मंदिर में तैनात रहता है. मंदिर के अंदर और बाहर की सुरक्षा में करीब सवा सौ जवान तैनात किए जाते हैं. इस दौरान सीएसपी स्तर के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. श्रीकृष्ण के इस ऐतिहासिक मंदिर के एक तरफ गुरुद्वारा है, तो दूसरी तरफ मोती मस्जिद है. सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक इस मंदिर की स्थापनी 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने कराया था.

Last Updated : Aug 29, 2021, 6:47 PM IST

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