भोपाल। कोरोना संक्रमण के चलते मध्य प्रदेश में लगे कोरोना कर्फ्यू में भले ही सरकार ने उद्योगों को चालू रखने को लेकर राहत दी हो, लेकिन असल में यह केवल दिखावा साबित हो रहा है. दरअसल सरकार ने उद्योगों को चालू रखने की छूट तो दी लेकिन ऑक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगा दी, और तो और उद्योगों की बिजली भी काटी जा रही है. इन हालातों में उद्योगों के सामने संकट खड़ा हो गया है और वे केवल टाइम पास कर रहे हैं.
- औद्योगों में बंद पड़े है काम
दरअसल राजधानी भोपाल में गोविंदपुरा और बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया हैं. यहां पर कुछ औद्योगिक इकाइयों में काम चल रहा है. गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में 1,100 इंडस्ट्री यूनिट और बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया में 200 से अधिक यूनिट संचालित हो रही है. जानकारी के मुताबिक दोनो ही इंडस्ट्रियल एरिया में कुछ यूनिट्स को छोड़कर ज्यादातर में काम बंद पड़ा है.
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- उद्योगों को नहीं मिल रही ऑक्सीजन
गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह बताते हैं कि यहां की इंडस्ट्रीज की हालत बहुत खराब है. यहां पर ज्यादातार फेब्रिकेशन इंडस्ट्रीज हैं, जिनके लिए ऑक्सीजन बहुत जरूरी होती है, लेकिन प्रशासन ने उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई पर रोक लगा दी है. बिना ऑक्सीजन के कोई काम नहीं होता है. रॉ मटेरियल काटने के लिए ऑक्सीजन चाहिए, इसके बिना आगे का काम कैसे होगा. अमरजीत सिंह का कहना है कि पहले लॉकडाउन से बाहर नहीं निकल पाए थे, कि दूसरा लॉकडाउन लग गया, जिससे उद्योगों की हालत खराब हो गई है.
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- तो बंद कर चाबी सरकार को सौंप दे
कुछ यही हालत बगरौदा इंडस्ट्रियल एरिया का भी है. यहां के ज्यादातर मजदूर कोरोना के चलते घर लौट गए हैं. तीन साल पहले शुरु किए गए राजधानी के पास भोजपुर रोड पर तमाम सुविधाओं से युक्त इस औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने से पहले ही खत्म होने की कगार पर है. बगरौदा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपेंद्र चौहान ने बताया कि कोरोना काल में सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं है. बिजली विभाग की मार ज्यादा है. उद्योगों की बिजली काटी जा रही है. यहां की इंडस्ट्रीज लोकल मार्केट पर टिकी है लेकिन मार्केट बंद हैं. इन हालातों में हमारा सरकार से कहना है कि क्या हम उद्योगों को बंद कर चाबी आपको सौंप दें.
- औद्योगिक इकाइयां सकते में है
प्रदेश सरकार के इस रवैए को लेकर औद्योगिक जगत के लोग खासे नाराज है. उद्योगों को असल में कोई राहत नहीं है. ऑक्सीजन सप्लाई बंद होना, पावर कट किए जाने के साथ ही औद्योगिक इकाई लगाने के लिए जो कर्ज बैंकों से लिया था, उसके लिए भी वसूली के नोटिस और खाते को एनपीए करने की बातें बैंकों द्वारा की जा रही है. जिसके चलते औद्योगिक इकाइयां सकते में है.