मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

24 से ज्यादा गांवों में पीने के पानी की समस्या, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान - मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग

बैरसिया ब्लाॅक के 24 से ज्यादा गांवों में लोगों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा हैं. हालांकि, अब जब इस मामले को मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया हैं.

Madhya Pradesh Human Rights Commission
मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग

By

Published : May 11, 2021, 6:53 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने मानवाधिकार हनन से जुड़े दस मामलों को संज्ञान में लेते हुए संबंधितों से प्रतिवेदन मांगा हैं, जिसमें से एक मामला बैरसिया ब्लाॅक से जुड़ा हुआ हैं. आयोग द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि बैरसिया के 24 से ज्यादा गांवों में लोगों को पीने के पानी के लिए भी भटकना पड़ रहा हैं. ग्रामीण तीन किमी दूर जाकर पानी भरने को मजबूर हैं. वहीं इस मामले में आयोग ने कलेक्टर, अधीक्षण यंत्री और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से जांच कराकर पेयजल की सुनिश्चित व्यवस्था के संबंध में की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन 15 दिवस में मांगा हैं.

24 गांव के हैंडपम्प सूखे, तीन किमी दूर से ला रहे पानी

दरअसल, मानव अधिकार आयोग द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि बैरसिया के 24 से ज्यादा गांवों में लोगों को पीने के पानी के लिए जूझना पड़ रहा हैं. तीन किमी दूर जाकर पानी भरना पड़ रहा हैं. सबसे ज्यादा दिक्कत खजूरिया रामदास, मनख्याई, भकवाह, बरखेड़ाकलां, सूरजपूरा, जूनापानी, बगोनिया, देव बरखेडी, भैंसखेडा, मूढ़लाचंद, भमौरा, तरावलीखुर्द, डंगरोली, झिकरियाखुर्द, छोटी अमरपुर, कल्याणपुर, गढाकलां, गरेठिया बाज्याफत, गरेठिया दांगी, भैंसोंदा, तरावलीकलां, कचनारिया, परसोरा, नरेला बाल्याफत गांवों में देखने को मिल रही हैं. इन गांवों में 120 हैंडपम्प हैं, जो पहले ही दम तोड़ चुके हैं.

वहीं भेसोन्दा गांव, नलखेडा गांव और गरेठिया दांगी गांव में तो नल-जल योजना ही बंद हैं. इस संबंध में पीएचई के प्रभारी कार्यपालन अधिकारी का कहना है कि जल स्तर नीचे गिरने से हैंडपम्प सूख गए हैं. नए हैंडपम्प लगाने की व्यवस्था की जा रही हैं.

अनूपपुर: ग्रामीणों को नहीं मिल रहा 'नल जल योजना' का लाभ

हालात बुरे, जिम्मेदार बरत रहे लापरवाही

बैरसिया ब्लॉक में 110 पंचायत हैं. यहां 312 गांव ऐसे हैं, जहां पर कई सालों से नल-जल योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गई हैं. कहीं टंकी बनाकर छोड़ दी गई हैं, तो कहीं पाइप लाइन फिट करने के बाद चालू ही नहीं की गई हैं.

बैरसिया में पानी की भारी समस्या हैं. वहीं जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देने के बजाय लापरवाही बरत रहे हैं. हालांकि, अब जब इस मामले को मानव अधिकार आयोग ने संज्ञान में लिया हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details