भोपाल। कुछ लोग योग को मजहब से जोड़ते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. डॉक्टर के पास कई मजहब के लोग जाते हैं. डॉक्टर कहे कि योगासन करना है, टहलना भी है तो ये सब काम करते हैं. क्योंकि डॉक्टर से विरोध नहीं करते. क्योंकि उसको अपने स्वास्थ्य की चिंता है. कुछ लोग योग को लेकर भ्रांतियां फैलाते हैं. इससे बचने की जरूरत है. प्रकृति के साथ जितना संपर्क में रहेंगे, उतने ही स्वस्थ रहेंगे. यह बात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नें भोपाल में कही. शनिवार को एक देश एक स्वास्थ्य को लेकर आरोग्य मंथन कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भोपाल के मिंटो हॉल में किया.
भारत के कोरोना वैक्सीन की दुनिया में धाक :कार्यक्रम से पहले दीप प्रज्ज्वलित कर मंथन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. इसमें मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत आरोग्य भारती के पदाधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोरोना के समय एक अलग ही स्थिति बन गई थी. हर व्यक्ति सोच रहा था कि वैज्ञानिक नहीं होते तो क्या होता. और सही मायने में जो वैक्सीन आई, उससे पूरी दुनिया में मानवता का एक बड़ा प्रतिशत बच गया. मैं अभी कुछ दिन पहले जमैका और एक अन्य कनाडियन देश में गया था. दोनों देशों में 8 कार्यक्रम संपन्न हुए. वहां भारत देश की बहुत प्रशंसा हुई. उनका कहना था कि अगर समय पर वैक्सीन नहीं मिली होती तो क्या होता. ये लोग बच नहीं पाते.
प्राचीन आयुर्वेद पद्धति को आधुनिक पद्धतियों से जोड़ें :राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे यहां आज इतनी सस्ती और अच्छी सुविधाएं हैं, ऐसी अन्य देशों में नहीं हैं. प्राचीन आयुर्वेद पद्धति को आधुनिक पद्धतियों से जोड़ना सभी के लिए लाभदायक है. हमसे ज्यादा बुजुर्ग, साधु-संत ज्यादा स्वस्थ थे, क्योंकि उनकी जीवनशैली में योग का योगदान था. कुछ लोग योग आदि को मजहब से जोड़ते हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है.