हैदराबाद।हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2021) का बहुत अधिक महत्व है. इसी दिन भगवान गणेश 10 दिनों तक विराजने के बाद घर से विदा लेते हैं. आज देश भर में अनंत चतुर्दशी मनायी जा रही है. हर साल अनंत चतुर्दशी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है. गणपति के विसर्जन (Ganpati Immersion) के कारण तमाम लोग इस दिन को गणपति के पूजन का दिन समझते हैं, लेकिन वास्तव में ये पावन पर्व श्रीहरि की पूजा का है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. आएये जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भगवान गणेश की पूजा करते समय कौन से ऐसे काम हैं, जो जरूर करने चाहिए.
अनंत चतुर्दशी को जरूर करें यह काम
भगवान विष्णु की पूजा: अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा जरूर करें, क्योंकि भगवान विष्णु के प्रिय शेषनाग का नाम अनंत है. उनके नाम पर ही चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी नाम दिया गया है.
व्रत रखें:हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी को बहुत ही अहम माना गया है. इस दिन व्रत करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पांडव जब जुए में अपना राजपाठ हार गए तो दोबारा उसे प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें सपरिवार अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने के लिए कहा था. बाद में पांडवों को फिर से राजपाठ मिल गया.
श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ: अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने के साथ-साथ श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र (Shri Vishnu Sahasranama Stotra) का पाठ भी करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान विष्णु भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. उसे सुख-संपत्ति और संतान देते हैं.
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त 2021 (Anant Chaturdashi Shubh Muhurat)
- अनंत चतुर्दशी : रविवार, 19 सितम्बर 2021
- पूजा मुहूर्त : सुबह 06:08, 19 सितम्बर से लेकर 05:28 सुबह, 20 सितम्बर तक
- अवधि : 23 घण्टे 20 मिनट
अनंत चतुर्दशी व्रत विधि (Anant Chaturdashi Vrat Vidhi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प करें. इसके बाद पूजा के स्थान को साफ करके और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें. वहां एक कलश स्थापित करें. कलश पर भगवान विष्णु की शेषनाग की शैय्यापर लेटे हुए एक तस्वीर को रखें. तस्वीर के सामने चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र रखें. इसके बाद ॐ अनन्ताय नम: मंत्र से भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें. भगवान और अनंत को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें और भगवान को खीर या किसी अन्य मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद अनंत को बांह में बांध लें. पूरे दिन का उपवास रखें. शाम को पूजन के बाद अपना व्रत खोलें. कहा जाता है कि लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करने से व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.
गणेश मूर्ति विसर्जन शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjana Shubh Muhurat)
- मूर्ति विसर्जन : रविवार, 19 सितम्बर 2021
- विसर्जन का समय प्रातःकाल : सुबह 7:40 से लेकर दोपहर 12:15 बजे तक
- विसर्जन का समय मध्य काल : दोपहर 1:46 से लेकर 3:18 बजे तक
- विसर्जन का समय सांय काल : सांय 6:21 से लेकर 10:46 बजे तक
इस दिन गणपति का क्यों किया जाता है विसर्जन
गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किए गए गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. कहा जाता है कि जिस दिन वेद व्यासजी (Ved Vyas) ने महाभारत (Mahabharat) लिखने के लिए गणेशजी को कथा सुनानी शुरू की थी उस दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि थी. कथा सुनाते समय वेदव्यासजी ने आंखें बंद कर लीं और गणेशजी को लगातार 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे और गणेशजी लिखते रहे.
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10 वें दिन जब वेदव्यासजी ने आंखें खोलीं तो देखा कि एक जगह बैठकर लगातार लिखते-लिखते गणेशजी के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया है. ऐसे में वेदव्यासजी ने गणपति को ठंडक प्रदान करने के लिए ठंडे पानी में डुबकी लगवाई. जहां पर वेदव्यासजी के कहने पर गणपति महाभारत लिख रहे थे, वहां पास ही अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम है. जिस दिन सरस्वती और अलकनंदा (Alaknanda) के संगम में वेदव्यासजी को डुबकी लगवाई उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था. यही वजह है कि चतुर्थी पर स्थापित होने के बाद गणेशजी का विसर्जन अंनत चतुर्दशी के दिन किया जाता है.
ढोल-नगाड़ों के साथ विदा किये जाते हैं गणेश जी
गणेश मूर्ति के विसर्जन से पहले उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. फिर मोदक और फलों का भोग लगाया जाता है. गणेश जी की आरती करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर अगले साल जल्दी आने का आग्रह करते हुए उन्हें विदा किया जाता है. लोग पटरी पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाकर मूर्ति रखकर ढोल नगाड़ों के साथ गुलाब बरसाते हुए नाचते गाते मूर्ति विसर्जन करते हैं.