मध्य प्रदेश

madhya pradesh

Budha Pradosh Vrat 2021 July : जानें बुध प्रदोष की संपूर्ण कथा, महत्व और विशेष विधि

बुध प्रदोष व्रत 7 जुलाई 2021 को है. इस दिन भगवान भोले नाथ की उपासना की जाती हैं. उन्हें प्रसन्न करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं.

By

Published : Jul 7, 2021, 6:44 AM IST

Published : Jul 7, 2021, 6:44 AM IST

budh pradosh 2021
बुध प्रदोष 2021

भोपाल। बुध प्रदोष है आज. चूंकि शिव जी को समर्पित प्रदोष व्रत बुधवार को है सो इसे बुध प्रदोष कहते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है, मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पंचांग के अनुसार 07 जुलाई 2021, बुधवार को आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है.

Sawan 2021: 29 दिन का होगा सावन मास, जानिए तारीख और क्यों होगी श्रावणी शिवरात्रि खास!

शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat of Pradosh)

आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि का आरंभ : 07 जुलाई 2021 रात 01 बजकर 02 से

आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि का समापन : 08 जुलाई 2021 रात 03 बजकर 20 मिनट पर

प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय: प्रदोष काल शाम 07:12 बजे से 9:20 बजे तक

प्रदोष व्रत की पूजा का महत्व (Significance of Pradosh Vrat)

07 जुलाई 2021 को आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत है. आषाढ़ मास में भगवान शिव की पूजा को विशेष फलदायी माना गया है. आषाढ़ मास के बाद श्रावण मास आता है, जिसे सावन का महीना भी कहा जाता है. सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए अतिउत्तम माना गया है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा जीवन में दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव अत्याधिक प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

प्रदोष व्रत की विधि (Pradosh Vrat Vidhi)

सर्व विदित है कि भोले बाबा पल में प्रसन्न और पल में नाराज हो जाते हैं. इन्हें खुश करने में ज्यादा समय नहीं लगता. मान्यता है किइस दिन भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं, इस कारण प्रदोष व्रत का फल बहुत जल्दी प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत में सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं. भगवान शिव का अभिषेक करें. इस दिन विधि पूर्वक अभिषेक करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं.

शिव आरती का पाठ करें (Shiv Aarti on Pradosh)

प्रदोष व्रत में शिव मंत्रों और शिव आरती का विशेष महत्व बताया गया है. शिव के इन मंत्रों का जाप सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

ऊँ नम: शिवाय..

ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्..

बुध प्रदोष कथा

बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ. विवाह के 2 दिनों बाद उसकी पत्‍नी मायके चली गई. कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्‍नी को लेने उसके यहां गया. बुधवार को जब वह पत्‍नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्‍न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता. लेकिन वह नहीं माना और पत्‍नी के साथ चल पड़ा. नगर के बाहर पहुंचने पर पत्‍नी को प्यास लगी. पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा. पत्‍नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई. थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा, तब उसने देखा कि उसकी पत्‍नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है. उसको क्रोध आ गया.

वह निकट पहुंचा तो उसके आश्‍चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी. पत्‍नी भी सोच में पड़ गई. दोनों पुरुष झगड़ने लगे. भीड़ इकट्ठी हो गई. सिपाही आ गए. हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्‍चर्य में पड़ गए. उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह कर्तव्यविमूढ़ हो गई. तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- ‘हे भगवान! हमारी रक्षा करें. मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-ससुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्‍नी को विदा करा लिया. मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा.’

जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया. पति-पत्‍नी सकुशल अपने घर पहुंच गए. उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष का व्रत रखने लगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details