भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. शहरों में तो ठीक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अघोषित रूप से बिजली 8 घंटे कट रही है. बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल को जिम्मेदार माना जा रहा है. कांग्रेस ने इस बिजली संकट पर सीएम शिवराज सिंह से सवाल किया है. प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि शिवराज के खासमखास अफसर को बिजली की कमान दी गई. इन्होंने बिना सोचे-समझे बिजली दूसरे राज्यों को बेच दी और अब बिजली इतने जल्दी मिल नहीं पा रही है. खरीदने की कोशिश की जा रही है, लेकिन 20 रुपए यूनिट के रेट से सरकार बिजली खरीदने की हिम्मत नहीं कर पा रही है. हाल ये है कि अप्रैल 2022 में बिजली की डिमांड 12400 मेगावाट है, जबकि 2020 में 10 हज़ार मेगावाट तो 2021 में 10460 मेगावाट थी.
पावर मैनेजमेंट के सर्वेसर्वा विवेक अग्रवाल पर सवाल उठे :सूत्रों की मानें तो बिजली संकट के लिए पावर मैनेजमेंट की कमान संभाल रहे विवेक पोरवाल ही जिम्मेदार हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के खास होने के कारण इन पर कोई एक्शन नहीं हो पा रहा है. दरअसल कोविड काल में उद्योग बंद थे और विवेक अग्रवाल इस बात का आकलन नहीं लगा सके. जिसका नतीजा ये है कि प्रदेश भीषण बिजली संकट से गुजर रहा है. पावर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश के हिस्से की 1005 मेगावाट बिजली गुजरात और महाराष्ट्र में बांट दी. कंपनी के यह कहने पर कि हमें बिजली की जरूरत नहीं है, ऊर्जा विभाग ने NTPCकी 360 मेगावाट बिजली महाराष्ट्र, बाकी 695 मेगावाट बिजली गुजरात को दे दी.
खपत बढ़ी, आवक घटी :पूरी गर्मी यानी 30 जून तक MP के हिस्से की बिजली दोनों प्रदेश में जाती रहेगी, जिससे मई में और संकट गहराएगा. पॉवर प्रदेश में उड़द-मूंग की खेती बड़े पैमाने में हो रही है. दो साल से कोरोना कर्फ्यू में उद्योग-धंधे बंद रहे. लेकिन अब उद्योग चालू हो गए हैं. प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है. एसी-कूलर भी हर घर चल रहे हैं. इसलिए खपत भी बढ़ रही है. खपत बढ़ रही है और आवक घट रही है तो बिजली संकट तो बढ़ेगा ही.