भोपाल।सरकार भले ही प्रदेश भर में बिजली के दामों में रियायत दे रही है और 100 रुपए महीना बिजली देने का दावा भी लगातार भी कर रही है, लेकिन इससे बिजली कंपनियां हो रहे नुकसान से नाखुश हैं. सरकार के इन कदमों के खिलाफ दाम बढ़ाने की मांग को लेकर बिजली कंपनिया विद्युत नियामक आयोग पहुंच गई हैं, जहां आयोग को 5 फीसदी दाम बढ़ाने के लिए प्रस्ताव दिया गया है.
विद्युत नियामक आयोग पहुंची बिजली कंपनिया दावे बढ़े तो कांग्रेस को घाटा
बिजली कंपनियों के प्रस्ताव पर आयोग ने प्रदेश भर से दावे आपत्ति बुलाने के लिए 7 मार्च की तारीख तय कर दी है . इसके बाद सुनवाई की जाएगी. माना जा रहा है कि विद्युत नियामक आयोग का फैसला चाहे जो भी हो लेकिन कमलनाथ सरकार बिजली के बढ़े हुए दामों का बोझ आम जनता पर नहीं डालना चाहती है, क्योंकि नगरीय निकाय के चुनाव भी कुछ महीनों बाद होना है. यदि दाम बढ़ाए जाते हैं तो चुनाव में सरकार की जमकर किरकिरी भी हो सकती है.
बिजले के दाम बढ़ने के खिलाफ हैं मंत्री
कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह भी कह चुके हैं कि सरकार का उद्देश आम आदमी को सस्ती और बिना किसी व्यवधान के बिजली उपलब्ध कराना है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के द्वारा इंदिरा गृह ज्योति योजना में 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने का वादा किया था उसे निभाया जा रहा है. 150 यूनिट के दायरे में 80 फीसदी उपभोक्ता सस्ती बिजली का लाभ ले रहे हैं.
दाम बढ़े तो सरकार उठाएगी बोझ
राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि यदि दाम बढ़ाए जाने की स्थिति बनती भी है तो इसे सरकार वहन करेगी. वहीं बिजली कंपनियां बार-बार करोड़ों का घाटा होने की बात कह रही है. यही वजह है कि कंपनियों ने दर वृद्धि याचिका में दो हजार करोड़ रुपए का घाटा होना बताया है. इसमें फ्यूल महंगा होने से लेकर बिजली बिल वसूली में हुआ नुकसान भी शामिल किया गया है.
फिलहाल विद्युत नियामक आयोग इस मामले में क्या प्रस्ताव बनाकर सरकार के समक्ष प्रस्तुत करता है यह तो आने वाले समय में ही पता चल सकेगा. लेकिन यह बात निश्चित है कि सरकार किसी भी हाल में बिजली को महंगा कर आम जनता पर बोझ नहीं डालेगी.