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गरीब छात्रों के लिए वरदान बना RTE! निजी स्कूलों में मिलेगा मुफ्त प्रवेश - free admission in private school

मध्यप्रदेश में लॉटरी के जरिए निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को मुफ्त प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने लॉटरी निकालकर इसकी शुरूआत की. निजी स्कूलों की एक लाख 72 हजार 440 सीटें गरीब छात्रों के लिए आरक्षित हैं.

Right to Education Act
शिक्षा का अधिकार अधिनियम

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Published : Jul 15, 2021, 2:49 PM IST

भोपाल। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों में छात्रों को दाखिला दिलाने के लिए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने लॉटरी प्रक्रिया का शुभारंभ किया. लाटरी के माध्यम से निःशुल्क प्रवेश के लिए 1 लाख 72 हजार 440 बच्चे को स्कूलों में प्रवेश दिया जा रहा है. इन सभी बच्चों को ऑनलाइन लाटरी के जरिए वरीयता के अनुसार अपनी पसंद के स्कूलों में निःशुल्क प्रवेश प्राप्त हो सकेगा.

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीट पर निःशुल्क प्रवेश का प्रावधान है. इसी प्रावधान के तहत सत्र 2021-22 के लिए प्रदेश के निजी विद्यालयों की प्रथम प्रवेशित कक्षा में वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के निःशुल्क प्रवेश के लिए ऑनलाइन लॉटरी निकाली गई है. स्कूल शिक्षा मंत्री ने लाटरी प्रक्रिया का शुभारंभ किया.

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इस साल प्रदेश भर से 1 लाख 99 हजार से अधिक बच्चों के पालकों ने प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. दस्तावेज सत्यापन के बाद करीब 28 हजार बच्चों के फॉर्म रिजेक्ट कर दिये गये हैं. लाटरी के जरिए निःशुल्क प्रवेश के लिए 1 लाख 72 हजार 440 बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिया जा रहा है.

कार्यक्रम के दौरान तकनीकी खराबी के चलते कई लोगों को परेशानी भी हुई. इन सभी बच्चों को ऑनलाइन लाटरी में वरीयता के अनुसार उनके पसंदीदा स्कूलों में निःशुल्क प्रवेश प्राप्त हो सकेगा. एडमिशन पाने वाले सभी बच्चों को मैसेज के माध्यम से सूचना दी जाएगी. उसके बाद संबंधित स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी.

Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009 या Right to Education Act (RTE) भारत की संसद से पारित अधिनियम है, जिसे 4 अगस्त 2009 को अधिनियमित किया गया था. जोकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत भारत में 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का आधिकार देता है.

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