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Published : Jul 17, 2020, 10:42 PM IST

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रेत के अवैध उत्खनन को लेकर गरमाई सूबे की सियासत, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

अवैध रेत उत्खनन पर रोक लगाने के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पत्र लिखा है. जिसके बाद से सूबे की सियासत गरमा गई है. बीजेपी पूर्व की कमलनाथ सरकार पर निशाना साध रही है.

Politics on illegal sand mining
रेत के अवैध उत्खनन पर सियासत

भोपाल। प्रदेश में सत्ता भले ही बदल गई हो, लेकिन अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पाई है. बीजेपी की सरकार आने के बाद एक बार खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी. जिसके के लिए सरकार अब ज्वाइंट फ्लाइंग स्क्वॉड बनाने पर विचार कर रही है. उधर अवैध खनन को रोकने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एनजीटी को पत्र लिखा है. इस पत्र को लेकर प्रदेश में सियासत जरूर शुरू हो गई है.

रेत के अवैध उत्खनन पर सियासत

रेत से मिलने वाला राजस्व

मध्यप्रदेश के खनिज विभाग को राजस्व देने वाले खनिजों में रेत का नंबर आठवां है. लेकिन अवैध उत्खनन परिवहन और भंडारण के मामले में रेत सबसे आगे है. रेत के मामलों में पुलिस कर्मी, माइनिंग अफसर और अन्य अधिकारी कर्मचारियों तक की जान जा चुकी है. सरकार के तमाम दावों के बाद भी अवैध उत्खनन पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है. साल 2019-20 में खनिज विभाग से सरकार को 4 हजार 623 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिला था. इसमें रेत से राजस्व की भागीदारी सिर्फ 69 करोड़ रुपए की थी. जो कुल राजस्व का 1.49 फीसदी है.

ज्वाइंट फ्लाइंग स्क्वॉड बनाने की तैयारी

देखा जाए तो मध्य प्रदेश में रेत की करीब 12 सौ खदानें हैं, लेकिन इनके संरक्षण के लिए खनिज विभाग के पास अपना पर्याप्त बल नहीं है. यही वजह है कि खनिज विभाग रेत ने अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने का काम पुलिस पर छोड़ दिया है. शिवराज सरकार में खनिज विभाग की बागडोर संभाल रहे खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक अवैध खनन को रोकने के लिए विभाग के अमले को मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि आमतौर पर दूसरे विभाग भी इसको लेकर सक्रिय हो जाते हैं. सरकार ज्वाइंट फ्लाइंग स्क्वॉड बनाने पर भी विचार कर रही है. जिसमें राजस्व, खनिज और पुलिस की संयुक्त टीम रहेगी. ताकि कार्रवाई करने के लिए पहुंचने वाली टीम की सुरक्षा की जा सके.

दिग्गी ने लिखा एनजीटी को पत्र, बीजेपी ने साधा निशाना

अवैध रेत खनन को लेकर हमेशा से ही सियासत होती रही है. एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नर्मदा नदी में अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए एनजीटी को पत्र लिखा है. ये अलग बात है कि कमलनाथ सरकार में 15 महीनों के दौरान भी जमकर अवैध उत्खनन हुआ. यहां तक की तत्कालीन सहकारिता मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी नाराजगी जताई थी. यही हाल सत्ता बदलने के बाद भी है. हालांकि अब अवैध उत्खनन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है. मंदसौर से बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा है कि आखिर पिछले 15 महीनों के दौरान अवैध उत्खनन पर रोक क्यों नहीं लगाई गई और दिग्विजय सिंह उस वक्त मौन क्यों थे.

कोयले से मिलता है सबसे ज्यादा राजस्व

मध्य प्रदेश सरकार को मुख्य खनिजों में सबसे ज्यादा राजस्व कोयले और फिर चूना पत्थर से मिलता है. चूने पत्थर का उपयोग सबसे ज्यादा सीमेंट कंपनी द्वारा किया जाता है. मुख्य खनिजों से सरकार को 1 साल में 2959.61 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है. इसमें रेत से 69.17 करोड़ रुपए प्राप्त हुआ है.

हालांकि कमलनाथ सरकार में खनिज मंत्री रहे और अब स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन में चेयरमैन प्रदीप जायसवाल ने पूर्व में दावा किया था कि रेत के नए ठेके होने के बाद अवैध उत्खनन और परिवहन पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी और अब ऐसे ही दावे खनिज मंत्री कर रहे हैं, देखना होगा आखिर अवैध खनन पर कब तक रोक लग पाती है.

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