भोपाल। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भले कुछ दिनों के लिए टल गए हों, लेकिन नगरीय निकाय एक्ट में हुए संशोधन के बाद नए तरीके से होने जा रहे चुनावों में राजनीतिक पार्टियों का दखल बढ़ जाएगा. संशोधन के बाद पार्षदों का चुनाव तो राजनीतिक दलों के आधार पर होना है, लेकिन महापौर-अध्यक्ष के चुनाव के लिए नई प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे.
निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों बढ़ेगी भूमिका ऐसे में अब निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों की भूमिका भी बदल गई है, राजनीतिक दल पार्षद प्रत्याशी को तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ाएंगे, लेकिन महापौर-अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के चयन के लिए राजनीतिक दल अपना पर्यवेक्षक भेजेंगे और चुने हुए पार्षदों में से पर्यवेक्षक महापौर या अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की सिफारिश पार्टी से करेगा और पार्टी अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा करेगी.
ऐसे बदलेगी राजनीतिक दलों की भूमिका
राजनीतिक दलों की नई भूमिका के बारे में मप्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी प्रकाश जैन ने बताया कि, पार्षदों के चुनाव हो जाने के बाद महापौर और अध्यक्ष पद के लिए राजनीतिक दल योग्य प्रत्याशी का चयन करेंगे. इसलिए पार्टी स्तर पर पार्षदों को निर्देश दिए जाएंगे और जिसका संख्या बल में बहुमत में होंगा, उसका महापौर पद के लिए नाम आगे बढ़ाया जाएगा . इसके लिए पार्टी पर्यवेक्षक उचित प्रत्याशी का चयन करेंगे.
ये हुआ बदलाव
1999 से नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों के साथ-साथ महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होता था. 2014 तक यही प्रक्रिया जारी रही, लेकिन 2018 में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आने के बाद इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया और नगरीय निकाय एक्ट में संशोधन किया गया. इस संशोधन के तहत नगरीय निकायों के पार्षदों के चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर किए जाएंगे, लेकिन महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से न करा कर चुने गए पार्षदों के जरिए होगा.