भोपाल।मध्यप्रदेश और देश की राजनीति में अहम किरदारों की चर्चा की जाए तो चुनिंदा नामों में पूर्व सीएम व पीसीसी चीफ कमलनाथ का नाम अहम है. उन्होंने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के वनवास को खत्म कर एक बार फिर सत्ता में स्थापित किया था. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत के बाद उनकी सरकार गिर गई और अब कांग्रेस एक बार फिर विपक्ष में हैं. तो सियासी लड़ाई के बीच जानते हैं कि उत्तरप्रदेश के कानपुर की गलियों में खेलने वाला लड़का आज कैसे इस मुकाम तक पहुंचा.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ जन्म:कमलनाथ का कानपुर से गहरा नाता है. उनका जन्म 18 नवम्बर 1946 को यहां के खलासी लाइन में हुआ था. कमलनाथ की प्रारंभिक शिक्षा भी कानपुर में ही हुई थी. उनके पिता महेंद्र नाथ और लीला नाथ उन्हें पढ़ा लिखाकर वकील बनाना चाहते थे. कमलनाथ का बचपन कानपुर की गलियों में (Political Journey of Kamalnath) बीता है. बाद में उनके माता-पिता कानपुर छोड़कर कोलकत्ता चले गए.
ऐसा रहा कमलनाथ का करियर:कमलनाथ की आगे की स्कूली शिक्षा देहरादून स्कूल से हुई. इसके बाद सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से उन्होंने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया. 2006 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया. कमलनाथ 1979 में पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए. इसके बाद 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में वे लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए.
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केंद्र सरकार में निभाईं अहम जिम्मेदारियां:कमलनाथ 1991 से 1994 तक केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री, 1995 से 1996 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004 से 2008 तक केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री, 2009 से 2011 तक केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री, 2012 से 2014 तक शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री रहे. उन्होंने भारत की शताब्दी और व्यापार, निवेश, उद्योग नामक पुस्तक भी लिखी है.
कांग्रेस के संगठन में निभाए खास दायित्व:1968 में वे युवक कांग्रेस में शामिल हुए. 1976 में उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस का उन्हें प्रभार मिला. 1970-81 तक वे अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. 1979 में युवा कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के पर्यवेक्षक, 2000-2018 तक वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, इसके बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. सरकार गिरने के बाद वे वर्तमान में सदन में विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे हैं. इसक अलावा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं.
कमलनाथ के सियासी सफर के अहम पड़ाव:कमलनाथ को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपना तीसरा बेटा कहा था, जब उन्होंने 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं, इंदिरा ने तब मतदाताओं से चुनावी सभा में कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं, कृपया उन्हें वोट दीजिए.
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संजय गांधी से दोस्ती:कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त थे, दून स्कूल से शुरू हुई दोस्ती, मारुति कार बनाने के सपने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की राजनीति तक जा पहुंची थी. ऐसे भी कहा जाता है कि यूथ कांग्रेस के दिनों में संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमलनाथ को सिद्धार्थ शंकर रे और प्रिय रंजन दासमुंशी को टक्कर देने के लिए उतारा था.