भोपाल। राजधानी में फ्रंटलाइन पैरामेडिकल स्टाफ जिसे कोरोना महामारी के दौरान सरकारी सेवाएं देने के लिए बुलाया गया था. उन्हें डेली वेजेस के मुताबिक पैसा दिया गया है. महमारी के दौर में दिन-रात डटे रहे इन कोरोना वॉरियर्स को अब सरकार काम निकलने के बाद बाहर का रास्ता दिखाने में जुट गई है. अब तक करीब 60 फीसदी कोरोना वॉरियर्स को सरकार बाहर का रास्ता दिखाकर, उनकी सेवाएं भी समाप्त कर चुकी है. ऐसे में अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर शहर के नीलम पार्क में पिछले तीन दिनों से स्वास्थ्यकर्मी धरना दे रहे हैं. गुरुवार शाम को भोपाल पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं और उनकी मांग के बदले उन्हें जख्म दिए.
6 हजार 123 करोना वॉरियर्स किए गए थे नियुक्त
कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश भर में 6 हजार से ज्यादा कोरोना वॉरियर्स सरकार ने तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट बेस पर नियुक्त किए गए थे. इन तीन महीनों में महामारी खत्म नहीं हुई. लेकिन सरकार ने किसी भी तरह से कोरोना वॉरियर्स से कांटेक्ट नहीं किया. और ये सभी लगातार 9 महीने तक सतत करते रहे. इन लोगों ने फ्रंट लाइन में आकर लोगों की सेवा की. अब इनका कहना है कि अगर सरकार ने हमें तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा था तो हमें तीन महीने बाद निकाल देना चाहिए था.
47 स्वास्थ्यकर्मी हुए गिरफ्तार
सरकार ने हमारा इस्तेमाल किया और अब हमें निकाल रहे हैं. हमारी मांग है कि हमें रेग्युलर बेसिस पर नियुक्ति दें.संविदा के तहत काम कराएं. जो सैलरी अभी हमें मिल रही है, वही सैलरी सरकार हमें दें.कोरोना वॉरियर्स ने बताया कि पुलिस ने बलपूर्वक वहां से उन्हें हटाया है. इस दौरान पुलिस ने 47 स्वास्थ्यकर्मियों को गिरफ्तार भी किया है.
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