भोपाल।पूरे देश में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise duty on petrol) कम कर दी और खासतौर से बीजेपी शासित राज्यों ने भी फरमान के बाद टैक्स कम कर दिया है. मध्यप्रदेश के लिहाज से पेट्रोल-डीजल पर कितना वैट (Vat on petrol and diesel) लिया जाता है? कितना अतिरिक्त कर लिया जाता है? और कितना सेस आइए जानते हैं.
सबसे ज्यादा वैट ले रही एमपी सरकार
मध्यप्रदेश में अभी भी सीमावर्ती राज्यों से महंगा पेट्रोल बिक रहा है. केंद्र सरकार की घोषणा के पहले मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल पर 33% वैट ले रही थी और 4 रुपए 50 पैसे जो एडिशनल टैक्स (Additional tax on petrol) कहलाता है, इसके साथ 1% सेस अलग से. वहीं डीजल पर पहले 23 % वैट था. डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और 1% सेस और लिया जाता था.
5 नवंबर की स्थिति में पेट्रोल के रेट
अब मध्य प्रदेश सरकार खुद के टैक्स के रूप में 29 रुपये प्रति लीटर और ढाई रुपए अतिरिक्त कर और 1 प्रतिशत सेस ले रही है. वहीं डीजल पर 19 रुपये वैट, 1 रुपये 50 पैसे अतिरिक्त कर और 1% सेस अलग से लग रहा है.
यूपी में 20 रुपये सस्ता मिल रहा पेट्रोल
अभी भी मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार सीमावर्ती राज्यों से ज्यादा टैक्स ले रही है. जानकारों की माने तो मुरैना, भिंड, दतिया जोकि यूपी बॉर्डर से लगे हुए हैं. वहीं यूपी में 20 रुपये सस्ता पेट्रोल मिल रहा है. इससे सीमावर्ती राज्यों के पेट्रोल पंप लगभग बंद हो जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है. वहीं पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर जनता के चेहरे पर खुशी नहीं है. उनका कहना है कि लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए, अब जो दाम कम किए गए हैं वह ऊंट के मुंह में जीरा है. सरकार के फैसले से जनता राहत की सांस लेती दिखाई नहीं दे रही है.
पेट्रोल और डीजल से सरकारों को होती है कमाई
बता दें कि पेट्रोल और डीजल से राज्य सरकारों को हर दिन लाखों की आमदनी होती है. कमलनाथ सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल पर 5 फीसदी वैट बढ़ा दिया था. यह 2019 में कमलनाथ सरकार ने बढ़ाया था. उसके पहले जुलाई में पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त कर लगाया गया था. 2018 के पहले जब शिवराज सरकार थी, तब पेट्रोल पर 28 फीसदी वैट था. सितम्बर 2019 में कांग्रेस सरकार में बढ़कर 33 फीसदी हो गया. वहीं डीजल पर वैट 18 फीसदी था, जो बाद में 23 फीसदी हो गया.