भोपाल।पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर (स्कूल) पर दिए गए मामले पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. दिग्विजय के बयान पर सरस्वती शिशु मंदिर के लोग राजधानी के जहांगीराबाद थाने में एफआईआर दर्ज कराने जा रहे हैं. इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पूर्व सीएम के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रदेश के डीजीपी को खत लिखा है.
एनसीपीसीआर ने तीन दिन में मांगा जवाब
दरअसल, सांसद सिंह ने सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाले छात्रों को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. इसी को लेकर एनसीपीसीआर ने अब उनसे जवाब मांगा है. NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि, 'हमने दिग्विजय सिंह को भी एक पत्र भेजकर कहा है कि अपने बयान के समर्थन में अगर कुछ तथ्य रखना चाहें तो रखें. हमने उन्हें 3 दिन का समय दिया है.' राज्य के डीजीपी को लिखी गयी चिट्ठी में कहा गया है कि दिग्विजय सिंह का बयान आईपीसी और जूविनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है. ऐसे में उनके बयान की जांच होनी चाहिए.
आखिर क्या कह दिया दिग्विजय ने
यह बयान दिग्विजय सिंह ने भोपाल के नीलम पार्क में आयोजित संयुक्त विपक्ष के धरने में दिया है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि "ये वो लोग है, जिनसे हम लड़ाई लड़ रहे हैं, जो बचपन से सरस्वती शिशु मंदिर से लोगों के दिल और दिमाग में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत का बीज बोते हैं और वही नफरत का बीज धीरे-धीरे आगे बढ़कर देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता है."सावरकर और धारा 370 पर बोलते हुए दिग्विजय ने कहा कि "अंग्रेजों ने सावरकर के जरिए लोगों के मन में नफरत पैदा करने का काम किया, उसके पहले देश में सांप्रदायिक सद्भाव रहता था. आजादी की लड़ाई में ना तो हिंदू महासभा ने, ना ही संघ ने और न ही मुस्लिम लीग ने भाग लिया. लोग यह सोचते हैं की श्यामा प्रसाद मुखर्जी धारा 370 लगाने के पक्षधर नहीं थे लेकिन जब कश्मीर में धारा 370 लगाने का प्रस्ताव पास हुआ तो उस दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल थे."