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लॉकडाउन की 'भूख'! दाने-दाने के लिए मोहताज बस्ती के लोग

लॉकडाउन के बाद से हर दिन खाने-पीने के सामान के लिए दर-दर भटक रहे बस्ती के लोग. लेकिन इन सुध लेने ना तो इनके पास कोई जनप्रतिनिधि आया और ना ही कोई स्वंयसेवी संस्थान.

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लॉकडाउन की भूख

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Published : Apr 23, 2021, 3:36 PM IST

Updated : Apr 23, 2021, 6:37 PM IST

भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते भोपाल के स्लम एरिया में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों के पास दो वक्त के खाने के लाले हैं. मासूम बच्चे और उनके परिजन भूख-प्यास से बेहाल हैं. कोरोना काल में काम धंधा बंद होने के कारण इन लोगों के पास खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है. यहां रहने वाले झुग्गी बस्ती में रहने वाले बताते हैं कि उन्हें लॉकडाउन के बाद से हर दिन खाने-पीने के सामान के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. लोग यहां आते तो है लेकिन कोई मदद नहीं करता है.

पानी में आटा घोलकर भर रहे बच्चों का पेट

चेतक ब्रिज के पास गौतम नगर की झुग्गी बस्ती में रहने वाली महिला अपने बच्चों को खाना नहीं खिला पा रही है. इसलिए मजबूरी में वह बच्चे को आटे को पानी में घोलकर पिला रही है, जिससे उसके बच्चों का पेट भर सके. भूखे प्यासे बच्चों को आटे का घोल पिलाते हुए एक मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन उनकी इस पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं है. उसका कहना है बच्चों को दूध और चाय पिलाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. महीनेभर से ऐसे ही हालात बने हुए हैं. हफ्ते दो हफ्ते में कोई आ जाता है तो उनके खाने-पीने की कुछ व्यवस्था हो जाती है, नहीं तो खाली पेट ही सोना पड़ता है.

दाने-दाने के लिए मोहताज बस्ती के लोग

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कोराना कर्फ्यू में नहीं मिल रहा काम

यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है, काम नहीं होने के कारण उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था नहीं है, रोज कमा कर खाने वाले लोगों को खाने-पीने के सामान के लिए भी काफी दिक्कतें आ रही हैं, यहां लोग आते हैं कुछ मदद करते हैं और चले जाते लेकिन दूसरे दिन फिर वही संकट सामने रहता है कुछ लोग तो संक्रमण के चलते डरते हैं और दूर से ही वापस लौट जाते हैं कोई भी सार्थक मदद गरीबों के लिए नहीं कर रहा है.

मास्क और सैनिटाइजर भी नहीं मिला

कोरोना की पहली लहर के समय कुछ समाजसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों ने उन्हें मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था करवाई थी लेकिन दूसरी लहर में ऐसी कोई गतिविधि इन स्लम एरिया में देखने को नहीं मिल रही है, खास बात यह है की भोपाल की सभी पास कॉलोनियों और और अन्य क्षेत्रों में झुग्गी बस्तियों में हजारों की तादाद में लोग रहते हैं, जिनके पास दिहाड़ी मजदूरी और कामकाज की नियमित व्यवस्था नहीं होती है. यह रोज काम करके कमाते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. ऐसे में कोरोना महामारी के संक्रमण से बचने के लिए इनके पास ना तो मेडिकल सुविधाएं हैं नही संक्रमण से बचने के लिए मास्क, सैनिटाइजर की व्यवस्था ऐसे में शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी यहां आकर मास्क और सैनिटाइजर के साथ खाने पीने की व्यवस्था करने की जरूरत है.

Last Updated : Apr 23, 2021, 6:37 PM IST

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