भोपाल। पेगासस नाम का स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) बिना किसी को बताए किसी के भी पर्सनल जिंदगी में आसानी से झांक सकता है, उसकी निजता को सार्वजनिक कर सकता है, इतना ही नहीं किसी निर्दोष को अपराधी बनाने के लिए उसके मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, टैबलेट व अन्य डिवाइस में आसानी से नकली साक्ष्य भी प्लांट कर सकता है, जिस पर दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछा है कि आखिर जब ये स्पाइवेयर अपराधी बनाने का काम करता है, तब यह अपराध रोकने में कैसे उपयोगी साबित होता है.
Pegasus Spyware: भारतीयों की जासूसी के लिए NSO को किसने किया भुगतान?
पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि यह फर्जी डाटा प्लांट करने में सक्षम है कि नहीं, यदि है तो फिर अपराध या आतंकवाद को कैसे रोकती है. इजरायल की एनएसओ कंपनी पेगासस स्पाइवेयर बनाती है, कंपनी का दावा है कि वह सिर्फ सरकारों को ही इसे बेचती है, एक अनुमान के मुताबिक एक व्यक्ति की जासूसी के लिए कंपनी करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए चार्ज वसूलती है, ऐसे में इतनी रकम का भुगतान करने वाला कौन है.
साल 2017 से 2019 के बीच एनएसओ की जासूसी लिस्ट में 40 से अधिक भारतीयों के नाम शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल के अलावा कई वरिष्ठ पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराए जाने का आरोप लगा है. केंद्र सरकार इस आरोप को सिरे से खारिज कर रही है कि उसने किसी की जासूसी कराई है, जबकि मौजूदा आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की भी जासूसी की जा चुकी है.